- हाइड्रोजन ट्रेन में ईंधन भरने में 20 मिनट से भी कम समय लगता है।
- हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले रेल वाहन, हाइड्रेल कहे जाते हैं।
- भारत साल 2017 में देश की पहली सोलर ट्रेन का संचालन शुरू कर चुका है।
Hydrogen Train In India: अगले साल से आप हाइड्रोजन ट्रेन में सफर कर सकते हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि अगले साल से देश में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन चलेगी। ऐसा करने के बाद दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा, जहां पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन चलेगी। अभी केवल जर्मनी में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का ट्रॉयल किया गया है। और वहां पर जल्द ही पैसेंजर ट्रेन चलाने की तैयारी है। इसके लिए 11 पैसेंजर ट्रेन की डिलिवरी भी की गई है।
क्या होती है हाइड्रोजन ट्रेन
TWI की रिपोर्ट के अनुसार, हाइड्रोजन ट्रेन हाइड्रोजन ईंधन से चलती है। इसके तहत ईंधन का इस्तेमाल हाइड्रोजन इंटरनल कंबंसन इंजन या फिर हाइड्रोन फ्यूल सेल में ऑक्सीजन के रिएक्शन से चलाई जाती है। सभी हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले रेल वाहन, हाइड्रेल कहे जाते हैं। हाइड्रोजन ईंधन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे जीरो प्रदूषण होगा।
एक बार में 1000 किलोमीटर दूरी का हुआ ट्रॉयल
जर्मनी में चलने वाली हाइड्रोजन ट्रेन का निर्माण एल्सटॉम एस ए (Alstom SA)कंपनी ने किया है। डीजल से चलने वाली ट्रेनों की जगह अब ये ट्रेनें लेंगी। बीते बृहस्पतिवार को एल्सटॉम ने एक बार में 1000 किलोमीटर तक चलने वाली ट्रेन का ट्रॉयल किया है। और इसकी अधिकतम गति 140 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। TWI के अनुसार इस ट्रेन से एक बार ईंधन भरने के बाद 1000 किलोमीटर की दूरी तय की जा सकेगी। और इसमें ईंधन 20 मिनट से भी कम समय में भरा जा सकेगा। ये ट्रेनें सिर्फ भाप और वाष्पित पानी का उत्सर्जन करती हैं
इस समय एलस्ट्रॉम के अलावा कई अलग-अलग ट्रेन कंपनियां हाइड्रोजन ट्रेनों की तकनीकी पर काम कर रही हैं, जिन्होंने पहली हाइड्रोजन संचालित वाणिज्यिक यात्री ट्रेन शुरू की थी। ये कंपनियां यूके में पोर्टरब्रुक जैसे रिसर्च संगठनों के साथ भी काम कर रही हैं, जिन्होंने बर्मिंघम विश्वविद्यालय के रेलवे अनुसंधान और शिक्षा केंद्र के साथ मिलकर हाइड्रोफ्लेक्स विकसित किया है।.
भारत में चल रही हैं सोलर ट्रेन
प्रदूषण में कमी लाने की दिशा में अहम पहल करते हुए, भारत साल 2017 में देश की पहली सोलर ट्रेन का संचालन शुरू कर चुका है। यह ट्रेन डीईएमयू (डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन है। जिससे साल 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सफदरजंग रेलवे स्टेशन रवाना किया था। रेलवे ने इस ट्रेन के जरिए 21 हजार लीटर डीजल की बचत का दावा किया था। और इससे हर साल 12 लाख रुपये की बचत होगी।
भारत ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए,साल 2030 तक अपनी बिजली आपूर्ति का 40 फीसदी हिस्सा रिन्यूएबल (अक्षय) और परमाणु ऊर्जा से हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसी तरह कार्बन उत्सर्जन में भी 33फीसदी कमी लाने की बात कही है। और 2070 तक कार्बन उत्सर्जन नेट जीरो करने का लक्ष्य रखा है।