- विपक्ष का ईडी की कार्रवाई पर सबसे बड़ा आरोप यही है कि वह केवल विपक्षी दलों के नेताओं को डराने का काम करती है।
- पीएमएल पर संसद ने साल 2002 में कानून पारित किया था। कानून का मकसद काले धन को सफेद में करने की कोशिशों को रोकना है।
- पिछले 17 साल में 5,442 (31 मार्च 2022) मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज किए गए लेकिन सजा महज 23 केस में हुई है।
PMLA and Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट आज प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम ने दायर की है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में खुली अदालत में सुनवाई और मौखिक दलीलें रखने की इजाजत मांगने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया था । और उसी के तहत आज खुली अदालत में सुनवाई की जाएगी। कार्ति चिदंबरम ने पीएमएल पर सुप्रीम कोर्ट के 27 जुलाई के फैसले पर पुनर्विचार करने की याचिका दायर की थी।
क्या कहा गया है याचिका में
इन याचिका में PMLA के प्रावधानों को चुनौती दी गई है । जिसमें पीएमएलए के तहत आरोपी की इनकम की जांच के लिए तलाशी , गिरफ्तारी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए ईडी के पास मौजूद उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई। इसमें कहा गया है कि ये प्रावधान मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला
इसके पहले 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के विभिन्न प्रावधानों पर अहम फैसला सुनाया था। उसने PMLA के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को सही ठहराते हुए कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है। साथ ही उसने ने यह भी कहा था कि ED पीएमएलए के तहत संपत्तियों को जब्त कर सकती है और पूछताछ के लिए किसी को भी समन जारी कर सकती है। अदालत ने कहा कि ईडी को दिया गया बयान सबूत माना जाएगा और 2018 में किया गया संशोधन सही है। इसके पहले 242 लोगों ने PMLA के तहत ईडी को मिले गिरफ्तारी के अधिकार सहित उसके कुछ अन्य प्रावधानों को चुनौती देते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की थी।
विपक्ष को क्यों ऐतराज
विपक्ष का ईडी की कार्रवाई पर सबसे बड़ा आरोप यही है कि वह केवल विपक्षी दलों के नेताओं को डराने का काम करती है। लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दी गई लिखित जानकारी के अनुसार पिछले 17 साल में 5,442 (31 मार्च 2022) मनी लॉन्ड्रिंग के केस दर्ज किए गए लेकिन सजा महज 23 केस में हुई है। और इन केस में अब तक इसमें करीब 1,04702 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया गया। वहीं 992 केस में चार्जशीट दाखिल की गई। इस अवधि में 869.31 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई और 23 केस में सजा हो पाई।
पीएमएलए केस सुप्रीम कोर्ट का ईडी और केंद्र सरकार को नोटिस, कार्ति चिदंबरम ने दायर की थी याचिका
क्या है PMLA
पीएमएल पर संसद ने साल 2002 में कानून पारित किया था। कानून का मकसद काले धन को सफेद में करने की कोशिशों को रोकना है। यानी मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है। मनी लॉन्ड्रिंग 3 चरणों में होती है। जिसमें प्लेसमेंट,लेयरिंग और इंटीग्रेशन कहा जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए PMLA साल 2005 से पूरे देश में लागू है। और इसमें अब तक 3 बार संशोधन किया जा चुका है। PMLA के अंतर्गत आने वाले सभी अपराधों की जांच प्रवर्तन निदेशालय करता है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को 3 साल से 7 साल की सजा का प्रावधान है। इसके तहत ईडी आरोपी की संपत्ति को जब्त और कुर्क कर सकती है। साथ ही अगर इसमें नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हो जाते हैं, तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।