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Who is Eknath Shinde: 'ऑटो' चलाने से लेकर आज 'महाराष्ट्र के नए CM' तक का सफर, खो चुके हैं अपने दो बच्चों को,उनके बारे में  जानें 

Updated Jun 30, 2022 | 21:31 IST

Who is Eknath Shinde new cm of Maharashtra: महाराष्ट्र के सीएम पद की कमान संभालने वाले एकनाथ शिंदे का राजनीतिक सफर खासा उतार-चढ़ाव वाला रहा है, जानें इसके बारे में

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एकनाथ शिंदे शिवसेना में रहते हुए 2004 के बाद 2009, 20014 और 2019 चार बार विधायक रहे हैं

Eknath Shinde Profile & Political Journey: एकनाथ शिंदे कभी बाला साहेब ठाकरे से राजनीति सीखी थी और आज उन्हीं के बेटे उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर आज उनको सत्ता से हटवाकर राज्य के सीएम पद पर आसीन हो गए हैं, 1980 के दशक में बाला साहेब ने शिवसेना में हिन्दुत्व और क्षेत्रवाद को मिला दिया और बन गए हिन्दुत्व के सबसे बड़े ब्रैंड ऐम्बेस्डर।

वहीं आज महाराष्ट्र में हिंदुत्व के सबसे बड़े ब्रैंड ऐम्बेस्डर बनना चाहते हैं एकनाथ शिंदे। इसी हिंदुत्व के नाम पर शिंदे ने यलगार कर दी। पार्टी से विधायकों को अपने पाले में किया नंबर गेम में आगे निकल गए जिसके दम पर आज वो सीएम बन गए हैं।

ठाणे शहर का एक ऑटो ड्राइवर आज महाराष्ट्र राज्य का CM

मुंबई से लगा हुआ है ठाणे शहर, 80 के दशक में यहां का एक ऑटो ड्राइवर आज की तारीख में महाराष्ट्र के महासमर का सबसे बड़ा नायक बन चुका है। महाराष्ट्र के सतारा के रहने वाले एकनाथ शिंदे ने भले ही स्कूली शिक्षा की शुरुआत अपने गांव से की थी लेकिन सियासत का ककहरा उन्होंने ठाणे में ही सीखा। ठाणे में एकनाथ शिंदे आनंद दिघे के संपर्क में आए। 90 के दशक में आनंद दिघे को ठाणे का बाल ठाकरे कहा जाता था। दिघे की अंगुली पकड़कर एकनाथ शिंदे सियासत की सीढ़ियां चढ़ने लगे। शिंदे ने 33 साल की उम्र में सियासी पारी की शुरुआत की और 1997 में ठाणे नगर निगम में पार्षद चुने गए।

जब सतारा में आंखों के सामने उनके दो बेटे शुभदा और दीपेश नदी में डूब गए

सियासी पारी शुरू करते ही शिंदे को बड़ा पारिवारिक झटका तब लगा जब सतारा में आंखों के सामने उनके दो बेटे शुभदा और दीपेश नदी में डूब गए। शिंदे राजनीति छोड़ अपने गांव की ओर रुख करने का मन बना रहे थे लेकिन आनंद दिघे ने उन्हें समझाया। हमेशा के लिए ठाणे छोड़ने से रोका। शिंदे मान गए। 2001 में नगर निगम में सदन के नेता बन गए।     

बाला साहेब ने एकनाथ शिंदे को ठाणे की कमान सौंप दी

एकनाथ शिंदे अभी सियासत में पूरी तरह से जमे भी नहीं थे कि 26 अगस्त 2001 को एक हादसे में आनंद दिघे की मौत हो गई। उनकी मौत को आज भी कई लोग हत्या मानते हैं। दीघे के निधन के बाद पूरे ठाणे इलाके में शिवसेना के नेतृत्व में खालीपन आ गया। पार्टी की पकड़ कमजोर होने लगी लेकिन बाला साहेब ने एकनाथ शिंदे को ठाणे की कमान सौंप दी। ठाणे की जनता भी दिघे के शिष्य को हाथों हाथ लिया। जनता का भी उन्हें प्यार मिला और पार्टी का परचम पूरे इलाके में फिर से लहराने लगा।

2004 में एकनाथ शिंदे पहली बार शिवसेना की टिकट पर MLA बने

विधायक बनने के बाद एकनाथ शिंदे की पार्टी और संगठन पर पकड़ बढने लगी। साथ ही मातोश्री के साथ नजदीकी भी। जब नारायण राणे ने शिवसेना छोड़ कांग्रेस का दाम थामा तब शिवसैनिकों को सड़कों पर चुनौती का सामना करना पड़ा। इस हालात को निपटने में भी शिंदे का रोल बेहद अहम था लेकिन जब राज ठाकरे ने शिवसेना को अलविदा कहा उसके बाद संगठन में शिंदे की जिम्मेदारी और बढ़ गई।

बाला साहेब की  एकनाथ शिंदे पर निर्भरता बढ़ती जा रही थी

शिवसेना खासकर बाला साहेब की शिंदे पर निर्भरता बढ़ती जा रही थी और जब 2006 में राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ महाराष्ट्र नवनिर्णाण सेना बनाई तब ठाकरे परिवार से बाहर शिंदे ही ऐसे शख्स थे। जिसपर संगठन को लेकर बाला साहेब का सबसे ज्यादा भरोसा था। कहा जाता है कि कांग्रेस जो उक्त सत्ता में थी। उसने शिंदे को मंत्री पद का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया था।

शिंदे 2004 के बाद 2009, 20014 और 2019 यानी 4 बार विधायक रहे 

एकनाथ शिंदे शिवसेना में रहते हुए 2004 के बाद 2009, 20014 और 2019 चार बार विधायक रहे हैं। 2014 में पहली बार मंत्री बने। फडणवीस सरकार में PWD मंत्री की जिम्मेदारी मिली। इसके बाद 2019 में बनी महाविकास अघाड़ी की सरकार में शिंदे को नगर विकास मंत्रालय का जिम्मा मिला यानी शिंदे को दोनों बार बड़े मंत्रालय मिले।

2014 में फणनवीस सरकार में शिंदे को लोक निर्माण मंत्री बनाया गया 

2014 में जब बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की फणनवीस सरकार बनी तो शिंदे को लोक निर्माण मंत्री बनाया गया था। 2015 में जब तत्कालीन सीएम देवेंद्र फडणवीस ने 12,000 करोड़ रुपये के नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे की घोषणा की, तो उन्होंने अपनी पसंदीदा प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए शिंदे को चुना और यही वो दौर था जब धीरे-धीरे शिंदे की फडणवीस से करीबी बढ़ती गई।

2019 में सीएम उद्धव ठाकरे के ठीक बाद शपथ लेने वाले एकनाथ शिंदे ही थे

2019 में महाविकास अगाड़ी की सरकार बन गई। सरकार में नंबर दो की हैसियत थी। सीएम उद्धव ठाकरे के ठीक बाद शपथ लेने वाले एकनाथ शिंदे ही थे। एकनाथ शिंदे को नगर विकास जैसे बड़े मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। जो आमतौर पर महाराष्ट्र के सीएम अपने पास रखते है लेकिन सियासी जानकार कहते हैं कि एकनाथ शिंदे को शुरूआत से ही महाविकास अगाड़ी को लेकर ऐतराज था।ऐतराज इस बात को लेकर कि जिस शिवसेना के कोर एजेंडे में हिंदुत्व था वो पार्टी अपनी विचारधारा से ठीक उलट पार्टियों से समझौता कैसे कर सकती है। भारी मन से किसी तरह ढाई साल तक कांग्रेस-एनसीपी के साथ उन्होंने काम किया लेकिन जब शिंदे को लगा कि सरकार की नीति हिंदुत्व के कोर एजेंडे से पूरी तरह से भटक चुकी है।

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