- हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म मामले में जिला प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में है
- कार्रवाई को लेकर हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकर पर भी आरोप लग रहे हैं
- विपक्ष उनके निलंबन की मांग कर रहा है और सरकार पर उन्हें बचाने का आरोप लगा रहा है
हाथरस : यूपी के हाथरस में दलित लड़की के साथ दरिंदगी केस में जिला प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं। यूपी सरकार ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया है, जबकि जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकर पर कार्रवाई की मांग भी उठ रही है। विपक्षी दल सरकार पर उन्हें बचाने के आरोप भी लगा रहे हैं। आखिर कौन हैं हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकर, जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें :
प्रवीण कुमार की पहली पोस्टिंग कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में हुई थी। करीब सवा साल वहां रहने के बाद उनका तबादला अलीगढ़ हो गया था, जिसके बाद उन्होंने ललितपुर में मुख्य विकास अधिकारी के तौर पर भी सेवा दी। यहां से वह लखनऊ चले गए, जहां उन्हें पंचायती राज विभाग का कार्यभार दिया गया। हाथरस में जिलाधिकारी के तौर पर उनकी नियुक्ति 2019 में हुई थी और अब सामूहिक दुष्कर्म मामले में कार्रवाई को लेकर उनकी खूब किरकरी हो रही है।
डीएम पर संगीन आरोप
हाथरस के डीएम का एक वीडियो भी पिछले दिनों वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें पीड़िता के पिता से कहते सुना गया कि अपनी विश्वसनीयता समाप्त न करें। हम आपके साथ खड़े हैं। आधे मीडिया वाले चले गए और बाकी भी चले जाएंगे। आपकी इच्छा है कि आपको बार-बार बयान बदलना है या नहीं। पीड़िता की भाभी का यह भी कहना है कि डीएम ने उनके चाचा ससुर (पीड़िता के पिता) से यह भी कहा कि अगर तुम्हारी बेटी कोरोना से मरती तो क्या तुम्हें मुआवजा मिल पाता? आरोप है कि उन्होंने पीड़िता के परिवार वालों को धमकी दी।
हाथरस के डीएम पर इस मामले में जिस तरह के आरोप लग रहे हैं, उसे लेकर राजनीतिक दल उनके निलंबन की मांग कर रहे हैं। सीएम योगी की अगुवाई वाली सरकार पर विपक्ष ने डीएम को बचाने का आरोप लगाया है। जहां तक हाथरस के डीएम से जुड़ी निजी जानकारियों की बात है, उनका जन्म 1 जुलाई, 1982 को हुआ था। वह 2012 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी हैं। उन्होंने इतिहास में एमए और बीएड भी किया है।