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कौन हैं रोहिंग्या,जिनको लेकर छिड़ा है विवाद, कैसे हजारों आए भारत

Updated Aug 18, 2022 | 14:35 IST

Who is Rohingya: जनरल विन की सरकार ने 1982 में  नया राष्ट्रीय कानून लागू कर, रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिक का दर्जा खत्म कर दिया था। और उसी के बाद म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती रही है। 

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रोहिंग्या पर भारत का रूख
मुख्य बातें
  • रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन में वाला मुस्लिम समुदाय है।
  • साल 2017 में म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों का बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ।
  • भारत सरकार इन्हें अवैध मानती है और उन्हें म्यांमार वापस भेजना चाहती है।

Who is Rohingya:रोहिंग्या (Rohingya)एक बार फिर चर्चा में है। मामला उनको बसाने को लेकर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी के ट्वीट से गरम हुआ। जिसमें उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में EWS फ्लैट देने की बात कही थी। हालांकि पुरी के इस ट्वीट के बाद सरकार ने बयान जारी कर अपने रूख को साफ कर दिया है। गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार रोहिंग्या शरणार्थियों को उनके देश वापस भेजने तक उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा। इस विवाद के बाद एक बार फिर रोहिंग्या चर्चा में हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन हैं ये रोहिंग्या ? और ये भारत क्यों आए.. 

कौन हैं रोहिंग्या?

रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन में वाला मुस्लिम समुदाय है। जिसे अराकान भी कहा जाता है। और उनका कहना है कि उनके वंशज इस इलाके में 16 वीं सदी से रह रहे हैं। अंग्रेजों के कब्जे के बाद, आज के बांग्लादेश के रहने वाले श्रमिकों को वहां पर लाया जाने लगा। और धीरे-धीरे रखाइन में बड़ी संख्या में रोहिंग्या की आबादी बढ़ गई। बाद में 1948 में  म्यांमार जब आजाद हुआ, उसी समय से वहां की बहुसंख्यक बौद्ध आबादी और रोहिंग्या मुस्लिम के बीच विवाद शुरू हो गया। बाद में जनरल विन की सरकार ने 1982 में  नया राष्ट्रीय कानून लागू कर, रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिक का दर्जा खत्म कर दिया गया। और उसी के बाद म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती रही है। 

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2017 में हुआ बड़ा नरसंहार

यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार करीब 1,30,000 हजार रोहिंग्या लोग आज भी शरणार्थी कैम्पों में रह रहे हैं। वहीं, छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या लोग ऐसे हैं जिन्हें अभी भी अपने गांवों में ही बुनियादी सेवाओं तक से महरूम रखा गया है। साल 2017 में म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों का बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। म्यांमार में सैकड़ों रोहिंग्या मार डाले गए, इसके बाद हजारों की संख्या में  रोहिंग्या म्यांमार से जान बचाकर भाग गए। इसी के बाद बड़ी संख्या में रोहिंग्या शरणार्थी भारत भी पहुंचे। सबसे ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में  हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार करीब पांच लाख रोहिंग्या बांग्लादेश में अवैध रूप से रह रहे हैं।

भारत में कितने रोहिंग्या

अगस्त 2021 में लोकसभा में गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय बताया कि कि अवैध प्रवासी बिना वैध दस्तावेज के गैरकानूनी और गुप्त तरीके से देश में घुसते हैं। इस वजह से अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों का कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। वहीं ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 40 हजार रोहिंग्या भारत में रहते हैं। जहां तक रोहिंग्या पर भारत सरकार के रूख की बात है तो सरकार इन्हें अवैध मानती है और उन्हें म्यांमार वापस भेजना (Deport) चाहती है।
 

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