नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए असमिया अखबार के एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि यह विचार किया जाना चाहिए कि एक विशिष्ट भाषा जानने वाले कुछ लोगों के लिए बौद्धिक स्थान (Intellectual space) क्यों सीमित है? औपनिवेशीकरण ने भारतीय ज्ञान के विस्तार में बाधा डाली जबकि आधुनिक विज्ञान को दो-तीन भाषाओं तक सीमित कर दिया गया। पीएम ने कहा कि जब संवाद होता है, तब समाधान निकलता है। संवाद से ही संभावनाओं का विस्तार होता है। इसलिए भारतीय लोकतंत्र में ज्ञान के प्रवाह के साथ ही सूचना का प्रवाह भी अविरल बहा और निरंतर बह रहा है। आजादी के 75 वर्ष जब हम पूरा कर रहे हैं, तब एक प्रश्न हमें जरूर पूछना चाहिए। इंटेलेक्चुअल स्पेस किसी विशेष भाषा को जानने वाले कुछ लोगों तक ही सीमित क्यों रहना चाहिए? ये सवाल सिर्फ इमोशन का नहीं है, बल्कि साइनटिफिक लॉजिक का भी है। यानी Intellect का, expertise का दायरा निरंतर सिकुड़ता गया। जिससे invention और innovation का pool भी limited हो गया।
गुलामी के लंबे कालखंड में भारतीय भाषाओं के विस्तार को रोका गया, और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान, रिसर्च को इक्का-दुक्का भाषाओं तक सीमित कर दिया गया। भारत के बहुत बड़े वर्ग की उन भाषाओं तक, उस ज्ञान तक access ही नहीं था। कोई भी भारतीय best information, best knowledge, best skill और , best opportunity से सिर्फ भाषा के कारण वंचित ना रहे, ये हमारा प्रयास है। इसलिए हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं में पढ़ाई को प्रोत्साहन दिया।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियान में हमारे मीडिया ने जो सकारात्मक भूमिका निभाई है, उसकी पूरे देश और दुनिया में आज भी सराहना होती है। इसी तरह, अमृत महोत्सव में देश के संकल्पों में भी आप भागीदार बन सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि असम बाढ़ की चुनौतियों का सामना कर रहा है। सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। सीएम हिमंत विस्वा सरमा और उनकी टीम लगातार राहत कार्यों में जुटी है। मैं वहां के अधिकारियों और लोगों से लगातार संपर्क में हूं।