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UP Assembly Polls 2022: इस बार सीधे जनता की अदालत में जा सकते हैं यूपी के सीएम और उनके दोनों डिप्टी

Updated Jul 24, 2021 | 21:41 IST

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और डॉ दिनेश शर्मा विधान परिषद के जरिए चुन कर आए थे।

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जनता की अदालत में जा सकते हैं यूपी के सीएम और दोनों डिप्टी

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सूबों में से एक उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले राजनीतिक दल समीकरणों को साधने की दिशा में जुट गए हैं। अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए बीएसपी ने बताया कि वो भी सत्ता में आ सकते हैं बशर्ते ब्राह्मण और दलित समाज एक साथ आ जाए। लेकिन इन सबके बीच हर किसी के जेहन में सवाल रहता है कि सूबे के टाप ब्रास उपरी सदन का सहारा क्यों लेते हैं। लेकिन इन सबके बीच खबर है कि सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके दोनों डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य और डॉ दिनेश शर्मा सीधे सीधे जनता के बीच जा सकते हैं। 

गोरखपुर या अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य इस बार विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। यह जानकारी पार्टी सूत्रों ने दी है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि तीनों बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाकर पार्टी खास माहौल बनाना चाहती है। वहीं इससे विपक्ष को भी संदेश जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर या अयोध्या की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, वहीं केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी की सिराथू और दिनेश शर्मा लखनऊ से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।

पिछली बार विधान परिषद के जरिए तीनों ने ली थी एंट्री
दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य ने पिछली बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनने के समय योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य सांसद थे, बाद में उन्होंने इस्तीफा देकर विधान परिषद की सदस्यता लेकर एमएलसी बने। उपमुख्यमंत्री बनने के बाद दिनेश शर्मा भी एमएलसी बने। अब तीनों नेता बैकडोर से विधायक बननने की जगह जनता के बीच जाकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।

तीनों के चुनाव लड़ने अलग फिजा बनेगी
उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन से जुड़े एक नेता का कहना है कि योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। तीनों नेताओं के पास व्यापक जनाधार है। पिछली बार की परिस्थितियां अलग थीं, इस नाते तीनों नेता चुनाव लड़कर विधायक बनने की जगह एमएलसी बनकर सदन पहुंचे थे। लेकिन इस बार तीनों नेता विधानसभा चुनाव लड़कर सदन पहुंचने की तैयारी में है। इसका अच्छा संदेश जाएगा।

एजेंसी इनपुट के साथ

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