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Azamgarh Bypoll 2022: निरहुआ की जीत का क्या है 2019 में अमेठी से स्मृति ईरानी की जीत का कनेक्शन?

Updated Jun 28, 2022 | 14:17 IST |

आजमगढ़ उप चुनाव में जिस तरह से निरहुआ ने समाजवादी पार्टी को पटखनी दी है । उससे यकीनन बीजेपी को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त मिली है। क्या आपको पता है कि निरहुआ की इस जीत का 2019 के अमेठी में स्मृति ईरानी की जीत से कनेक्शन है ।

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azamgarh election result 2022 dinesh lal yadav nirahua : आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में निरहुआ की हुई जीत को सपा के किले को फतह करना माना जा रहा है। आजमगढ़ की सीट बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल सीटों में से एक है। स्मृति ईरानी ने अमेठी की सीट जैसे जीती थी उसी फॉर्मुले के आधार पर निरहुआ ने भी जीत हासिल की है। आइए इस वीडियो  में देखते हैं कि आखिर यह फॉर्मूला है क्या।

सपा मुखिया अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई आजमगढ़ सीट से दिनेश लाल यादव सासंद चुने गए हैं। इसे सपा गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट से सपा की ओर से अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेद्र यादव चुनाव लड़े थे, जबकि बसपा की तरफ से गुड्डू जमाली ने अच्छा प्र्दशन किया है। इस सीट पर भाजपा की जीत 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा संकेत है।

BJP ने बनाई मनोवैज्ञानिक बढ़त  

आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज कर बड़ी मनोवैज्ञानिक बढ़त बना ली है।  इन दो सीटों पर उपचुनाव में हार से यूपी में सपा के लिए भाजपा को रोकना लगभग असंभव हो गया है। गौर हो कि आजमगढ़ सपा का इतना मजबूत किला था कि 2014 में मोदी लहर के बावजूद भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा था। तब यहां मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां जीत दर्ज की थी।

अखिलेश यादव ने आजमगढ़ के सांसद पद से दिया था इस्तीफा 

विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले के करहल विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित होने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ के सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद रिक्त सीट पर हुए उपचुनाव में निरहुआ ने सपा प्रमुख के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को हराया।आजमगढ़ में निरहुआ को 3,12,768 वोट (34.39 फीसदी), सपा के धर्मेंद्र को 3,04,089 (33.44 फीसदी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को 2,66,210 (29.27 फीसदी) वोट मिले।

भोजपुरी स्टार से राजनेता का सफर

भोजपुरी स्टार से लेकर बिग बॉस के प्रतियोगी और अब सांसद निरहुआ ने राजनेता बनने तक का लंबा सफर तय किया है।राजनीति में अपने साथी कलाकारों मनोज तिवारी और रवि किशन की सफलता को देखकर निरहुआ ने भी चुनाव लड़ने का फैसला किया और साल 2019 में भाजपा के टिकट पर समाजवादी पार्टी (सपा) के अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि वह सपा अध्यक्ष से हार गए, लेकिन उन्होंने आजमगढ़ से हार नहीं मानी और निर्वाचन क्षेत्र का दौरा जारी रखा।

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