- प्रवासी श्रमिकों और बसों के मुद्दे पर यूपी में कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने
- योगी सरकार पर कांग्रेस ने अड़ंगा लगाने का लगाया आरोप
- यूपी सरकार का कहना है कि कांग्रेस का प्रस्ताव मानकों पर खरा नहीं।
नई दिल्ली। यूपी में प्रवासी मजदूरों को कौन उनके घर नहीं भेजना चाहता है। दरअसल यह सवाल तब उठा जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को 1 हजार बसों का प्रस्ताव भेजा। कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया कि योगी सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए फिक्रमंद नहीं है। लेकिन बीजेपी ने कहा कि प्रियंका गांधी को यह देखना चाहिए कि यूपी रोडवेज की बसों के साथ साथ श्रमिक स्पेशल ट्रेनें यूपी में नहीं आ रहीं है क्या।
चर्चा के केंद्र में अब सिर्फ बस
कांग्रेस के आरोपों के बाद यूपी सरकार ने बसों को चलाए जाने पर परमिशन दे दी। लेकिन अब अलग तरह की राजनीति हो रही है। इस विषय पर कांग्रेस के एक नेता पंकज पुनिया ने बयान दिया है। पुनिया वो शख्स हैं जो पहले भी बीजेपी, संघ और सीएम योगी आदित्यनाथ के बारे में भाषाई सीमा की मर्यादा लांघ चुके हैं। पंकज पुनिया ने ट्वीट कर कहा कि प्रियंका गांधी तो बसों को चलाना चाहती हैं। लेकिन बिष्ट सरकार अनुमति नहीं दे रही है, इस तरह की नीच हरकत तो कोई संघी ही कर सकता है।
प्रवासी श्रमिकों का मुद्दा पीछे छूटा
आखिर ऐसा क्या हुआ कि प्रवासी श्रमिकों का मुद्दा इन दोनों दलों की लड़ाई में कहीं पीछे छूट चुका है। कांग्रेस के इस प्रस्ताव पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि एक तरफ तो कांग्रेस को यूपी में ही मौजूद श्रमिकों के बारे में चिंता हो रही है। लेकिन पंजाब और राजस्थान के बारे में कांग्रेस चुप क्यों हो गई। इसके साथ ही कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए बोला कि जब कोटा में यूपी के छात्र फंसे हुए थे तो क्या तब कांग्रेस बस नहीं चलवा सकती थी।