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रामसेतु पर EXCLUSIVE रिपोर्ट, जिस पथ से चले श्रीराम, उसका अस्तित्व आज भी है मौजूद

Updated Apr 13, 2022 | 17:43 IST

Exclusive report on Ram Setu : रामसेतु को लेकर सावल उठते रहे हैं। इसको लेकर अब भी रिसर्च जारी है। टाइम्स नाऊ नवभारत की टीम श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से 285 किलोमीटर का सफर कर मन्नार पहुंची जहां रामसेतु के अस्तिव की पड़ताल शुरू की।

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मुख्य बातें
  • भारत-श्रीलंका के बीच करीब 50 किलोमीटर तक लंबी रेखा है।
  • रामसेतु करीब सात हजार साल पुराना है।
  • राम सेतु मानव निर्मित था- साइंस चैनल

Exclusive report on Ram Setu : रामसेतु को लेकर कई तरह के सावल उठे हैं। इसे लेकर आज भी शोध जारी है कि क्या वाकई में रामसेतु था जिसे प्रभु राम की वानर सेना ने बनाया था या फिर ये कोई प्राकृतिक तौर पर बना था। भारत की तरफ से हमने कई बार रामसेतु को देखा है अब हम आपको श्रीलंका की तरफ से इस रामसेतु की प्रमाणिकता को दिखाएंगे जिसे लेकर दुनियाभर में शोध जारी है। श्रीलंका से टाइम्स  नाऊ संवादादाता प्रियांक त्रिपाठी की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट देखिए।

भारत के रोम-रोम मे बसे राम की आज भी मान्यता उतनी है जितनी पौराणिक काल में थी। आज भी ऐसे कई प्रमाण हैं जो साबित करते हैं प्रभु श्रीराम और पूरी रामायण का अस्तिव आज भी है। उन्ही में से एक है रामसेतु जिसके आधार पर आज भी नासा की रिसर्च जारी है। कि इसे श्री राम की वानर सेना ने बनाया था या  ये कोई प्राकृति तौर पर बना था। इसी जिज्ञासा को जानने टाइम्स नाऊ नवभारत की टीम श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से 285 किलोमीटर का सफर कर मन्नार पहुंची जहां रामसेतु के अस्तिव की पड़ताल शुरू की।

धर्म और विज्ञान के अपने-अपने तर्क है। इन्ही की पड़ताल करने टाइम्स नाउ नवभारत की टीम आगे की ओर बढ़ चली और ये पड़ताल में जुटी कि आखिर आज रामसेतु का अस्तित्व क्या है। क्या ये मात्र मान्याता है या फिर ये एक सच है जो रामायण की पूरी प्रमाणिकता देता है। श्रीलंका की मन्नार खाड़ी में जब टाइम्स नाऊ नवभार की टीम पहुंची तो रामसेतु के अस्तिव को देखकर यकीनन आप भी दंग रह जाएंगे।

रामसेतु पुल की प्रमाणिकता को लेकर वहां के स्थानीय क्या जानते हैं इसकी भी हमने पड़ताल की। यहां रह रहे स्थानीय और मछुआरे भी मानते हैं कि ये रास्ता जो समुंद्र के बीचो-बीच से जा रहा है वो रामसेतु है और यहीं से प्रुभ श्रीराम अपनी वानर सेना को लेकर निकले थे 

आंखों के सामने दिख रहा यही वो रामसेतु है जो रामायण काल की सच्चाई बयां करता है। इस रामसेतु ने कई सुनामी, भयंकर तूफान झेले लेकिन इसके अस्तित्व को कोई डिगा नहीं सका। आज भी रामसेतु रामेश्वरम से श्रीलंका को जोड़ने की प्रमाणिकता देता है

श्रीलंका में रामसेतु आज भी टुकड़ों में बटा है जिसपर शोध आज भी चल रहा है। नासा की तस्वीरों में भी साफ दिखा था की रामसेतु आज भी पानी के नीचे मौजूद है और वो एक सिरे से दूसरे सिरे से जुड़ा है। अब इसके अंडर वॉटर पर रामसेतु का सर्वेक्षण का काम भी चल रहा है।

पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से रामसेतु को महज पांच दिनों में तैयार किया गया था। जिसे नल और नील नाम के वानर ने तैयार किया था। आज भी वहां चूना मिट्टी सतह मौजूद है जिसपर रामसेतु का निर्माण हुआ था।

हिन्दू आस्था का प्रतीक रामसेतु आज भी मौजूद है और श्रीलंका में इसकी पुष्टि भी होती है। वहां भी लोगों में यही मान्यता है कि इस रामसेतु को प्रभु राम की वानर सेना ने ही बनाया था। रामसेतु की लंबाई को लेकर भी कई शोध किए जा रहे हैं। अभी तक की रिसर्च में सामने आया है कि रामसेतु की लंबाई 35 से 48 किलोमीटर तक है लेकिन धार्मिक मान्यताओं की माने तो रामसेतु की लंबाई इससे कई गुना थी।
 

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