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हिंदी बोलने वाले कोयंबटूर में पानी पूरी बेचते हैं, तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री ने भाषा विवाद को दी नई हवा

Updated May 13, 2022 | 17:27 IST

तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने कहा कि हमें बताया गया था कि हिंदी सीखने से हमें नौकरी मिलेगी, क्या हमें मिली? उन्होंने कहा कि हिंदी बोलने वाले कोयंबटूर में पानी पूरी बेचते हैं। तमिलनाडु में, दो भाषाएं हैं - अंग्रेजी और तमिल, अन्य भाषा की क्या जरूरत है।

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मुख्य बातें
  • तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें बताया गया था कि हिंदी सीखने से हमें नौकरी मिलेगी, क्या हमें मिली?
  • उन्होंने कहा कि जब दक्षिणी राज्य में लोग तमिल और अंग्रेजी सीख रहे हैं, तो दूसरी भाषाओं की क्या जरुरत है।
  • शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम एक अंतरराष्ट्रीय भाषा सीख रहे हैं, अंग्रेजी।

चेन्नई: तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने शुक्रवार को देश में भाषा को लेकर चल रही बहस को नई हवा दी। उन्होंने कहा कि हिंदी बोलने वाले कोयंबटूर में पानी पूरी बेचते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब दक्षिणी राज्य में लोग तमिल और अंग्रेजी सीख रहे हैं, तो दूसरी भाषाओं की क्या जरुरत है। कोयंबटूर में भारथियार विश्वविद्यालय में एक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु में, दो भाषाएं हैं - अंग्रेजी और तमिल। जबकि अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है, तमिल एक स्थानीय भाषा है।

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के साथ मंच शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि हमें बताया गया था कि हिंदी सीखने से हमें नौकरी मिलेगी, क्या हमें मिली? आप हमारे राज्य और कोयंबटूर में जाकर देखें, वे लोग कौन हैं जो पानी पूरी बेचते हैं।

के पोनमुडी ने आगे कहा कि अंग्रेजी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है। सीएन अन्नादुरई ने अंग्रेजी और तमिल का जोरदार समर्थन किया। वह एक व्यक्ति के बारे में एक कहानी सुनाते थे जो बिल्लियों और चूहों के लिए दो अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाते थे। उस व्यक्ति को बताया गया था कि चूहा बिल्लियों के लिए बने प्रवेश द्वार से भी प्रवेश कर सकते हैं।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम एक अंतरराष्ट्रीय भाषा सीख रहे हैं, अंग्रेजी। अन्य भाषाओं की क्या जरुरत है? पोनमुडी ने दावा किया कि तमिलनाडु भारत में एजुकेशन सिस्टम में सबसे आगे है और कहा कि तमिल छात्र किसी भी भाषा को सीखने के लिए तैयार हैं। हालांकि, हिंदी केवल एक वैकल्पिक भाषा होनी चाहिए और अनिवार्य नहीं।

गौर हो कि देश भर में हिंदी भाषा को लागू करने पर बहस चल रही है। बीजेपी के नेतृत्व वाला केंद्र सरकार हिंदी के अखिल भारतीय इस्तेमाल पर जोर दे रहा है और दक्षिणी राज्यों ने इसका कड़ा विरोध किया है।

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