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यासीन मलिक को किसके इशारे पर मिला VVIP ट्रीटमेंट? गंभीर केस दर्ज होने के बावजूद बना पासपोर्ट  

Updated Mar 22, 2022 | 10:18 IST

Yasin Malik News : 1990 के दशक में कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन में जेकेएलएफ के नेता यासीन मलिक की बड़ी भूमिका रही है। उसके ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं फिर भी उसका पासपोर्ट बन गया। उसने अमेरिका-पाकिस्तान की यात्राएं कीं।

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मुख्य बातें
  • 1990 के दशक में घाटी से कश्मीरी पंडितों का हुआ पलायन
  • कश्मीरी पंडितों के पलायन में यासीन मलिक की भूमिका अहम रही
  • मलिका के ऊपर आपराधिक मामलों के गंभीर केस दर्ज हैं

Yasin Malik : कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हमलों में शामिल अलगाववादी नेता यासीन मलिक फिलहाल जेल में है। लेकिन 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म के रिलीज होने के बाद 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए जुल्म की परतें एक बार फिर खुलने लगी हैं। कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए जिम्मेदार लोगों पर सवाल उठ रहे हैं। कश्मीरी पंडितों को घाटी से भागने पर मजबूर करने में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलफ) के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की भूमिका अहम रही है। 

दुनिया में बेरोकटोक घूमता रहा मलिक

हैरान करने वाली बात यह है कि मलिक पर गंभीर मामलों के केस दर्ज हैं फिर भी उसका पासपोर्ट बना और वह पाकिस्तान-अमेरिका सहित कई देशों में बेरोकटोक के घूमता रहा। सरकार की तरफ से उसे वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिलती रही। यासीन मलिक पर दर्ज 23 केस की लिस्ट टाइम्स नाउ नवभारत के हाथ लगी है। मलिक पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। मलिक 1990 में एयरफोर्स स्टेशन पर हुए हमले में शामिल था। इस हमले में वायु सेना के चार कर्मी मारे गए थे। यही नहीं उस पर आतंकी संगठनों को फंडिंग करने एवं अपहरण का आरोप है। किसी व्यक्ति पर आपराधिक मामला दर्ज होने पर उसका पासपोर्ट जब्त हो जाता है लेकिन मलिक के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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पीएम कार्यालय तक पहुंच गया
मलिक की रसूख इतनी थी कि साल 2006 में वह प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया। पाकिस्तान जाकर वह जमात उद दावा के सरगना एवं आतंकवादी हाफिज सईद के साथ मंच साझा करता दिखा। कश्मीर में अपनी गतिविधियों से वह अलगाववाद को बढ़ावा देता रहा। सवाल है कि ऐसे अपराधी पर सरकारक्यों मेहरबान रही? किसके इशारे पर उसे सरकार का संरक्षण मिलता रहा? क्या देश के बड़े नेताओं एवं दलों के साथ उसकी साठ-गांठ थी? आज देश इसका जवाब पाना चाहता है। 

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