आज छठ पूजा का दूसरा दिन है। इस महापर्व पर लोग यमुना नदी में आज फिर डुबकी लगाने पहुंचे, लेकिन मजबूरन उन्हें प्रदूषित पानी में डुबकी लगानी पड़ी। यमुना की हालत क्या है ये तो आपने साक्षात तस्वीरें देखीं। लेकिन इस तस्वीर के लिए केंद्र सरकार दिल्ली की आम आदमी पार्टी को ठहरा रही है तो दिल्ली सरकार आसपास के राज्यों को।
यमुना में गंदगी में औसतन करीब 2000 मिलियन लीटर प्रति दिन का प्रदूषण होता है। अगर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर होने वाले खर्च की बात करें तो वो करीब 3 करोड़ प्रति मिलियन लीटर प्रति दिन की कपैसिटी का होता है। ऐसे में प्लांट लगाने का कुल खर्च बैठेगा 5000 करोड़ रुपए। साल 2021 में जल शक्ति मंत्रालय को 69,053 करोड़ रुपए फंड मिला और दिल्ली को चाहिए 5000 करोड़ रुपए तो सवाल ये है कि क्या दिल्ली को इस फंड का 7 फीसदी हिस्सा नहीं मिल सकता है? क्या यमुना नदी को इसीलिए नजरअंदाज किया जा रहा है क्योंकि वो दिल्ली में है और यहां आम आदमी पार्टी की सरकार है?
अब कुछ सवाल आम आदमी पार्टी की सरकार से हैं
- सात साल में यमुना की सफाई के लिए क्या किया?
- सिर्फ छठ के मौके पर ही यमुना मुद्दा क्यों बनता है?
- यमुना के कुल प्रदूषण का 76% हिस्सा वजीराबाद से ओखला के बीच होता है, ऐसे में बाकी राज्यों को क्यों कोसा जा रहा है?