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Opinion India ka: बांग्लादेश में हिंदुओं पर सबसे बड़ा संकट? क्या बांग्लादेश से हिंदू खत्म हो जाएंगे?

Updated Oct 20, 2021 | 23:33 IST

Opinion India ka: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ कोमिल्ला में जो नफरत वाली आग भड़की उसने देखते देखते नोआखली, फेनी सदर, चौमुहानी,रंगपुर, पीरगंज, चांदपुर, चटगांव, गाजीपुर, बंदरबन, चपैनवाबगंज और मौलवीबाजार समेत कई इलाकों को अपनी जद में ले लिया।

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बांग्लादेश में आजकल हिंदुओं पर संकट है। वहां अल्पसंख्यक हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। ऐसा लग रहा है जैसे बांग्लादेश में एक बार फिर से कट्टरता वाला दौर लौट आया है। जिसके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ हिंदू, उनके घर और धार्मिक स्थल हैं। पिछले एक हफ्ते से जारी हिंसा और उत्पात में अब तक 6 हिंदुओं की जान जा चुकी है। हालात इतने खराब हैं कि भारत समेत दुनिया के तमाम देश चिंतित हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने तो बांग्लादेश की सरकार से हिंदुओं के खिलाफ हो रहे हमलों को रोकने के लिए कहा है। लेकिन हकीकत ये है कि अब तक ये रुक नहीं पाए हैं। हिंदुओं के खिलाफ ये जुल्म उसी बांग्लादेश में हो रहा है, जिसके लिए हिंदुस्तान ने क्या कुछ नहीं किया। बांग्लादेश में कट्टरता और नफरत की जो आग भड़की है, वो बुझने का नाम नहीं ले रही है। भारत के पड़ोस में हफ्ते भर से हिंदु समुदाय के खिलाफ हिंसक हमले हो रहे हैं। 

ये वही बांग्लादेश है, जहां के बंगाली मुसलमानों और हिंदुओं को बचाने के लिए भारत ने 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध किया था। ये वही मुल्क है, जिसकी आजादी के लिए भारत ने 13 दिनों तक पाकिस्तान के साथ जंग लड़ी थी। पाकिस्तान को बचाने के लिए अमेरिका बंगाल की खाड़ी में अपना सांतवां बेड़ा भेजने को तैयार था, लेकिन भारत ने इसकी जरा भी परवाह नहीं की
बांग्लादेश पाकिस्तान के जुल्म-ओ-सितम से मुक्ति पा सके, इसके लिए भारत ने बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी को ट्रेनिंग दी थी। भारत ने ही बांग्लादेश के स्वतंत्र अस्तित्व को सबसे पहले मान्यता दी थी। साथ ही बांग्लादेश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले देशों में भारत पहला देश था।

सवाल ये है कि जिस बांग्लादेश के लिए हिंदुस्तान ने सब कुछ किया, उस बांग्लादेश से हमें हासिल क्या हुआ? ये सवाल इसलिए क्योंकि जिस लोकतंत्र के लिए बांग्लादेश को भारत ने आजाद करवाया था, वहां आज अल्पसंख्यक हिंदू और उनकी आज़ादी खतरे में हैं। ये वही बांग्लादेश है, जिसका राष्ट्रगान रवींद्र नाथ टैगोर की कविता से ली गई है। जिसका संविधान कहता है कि वो ना सिर्फ लोकतांत्रिक है बल्कि सेक्युलर भी है, लेकिन सच ये है कि वहां कट्टरता हावी है। हर मामले में भारत बांग्लादेश की मदद के लिए आगे आता है। इसके बदले में वहां रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं को ये दिन देखने पड़ रहे हैं। 

पिछले 9 सालों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर करीब 3,721 हमले हुए। इस दौरान कम से कम 1,678 मंदिरों और धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की गई। इसके अलावा अल्पसंख्यक हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई। पिछले 9 सालों में बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं ने सबसे बुरा दौर 2014 में देखा। तब 5 जनवरी को हुए संसदीय चुनाव के ठीक बाद हिंसा भड़की थी। जिसमें हिंदुओं के 1201 घरों पर हमले हुए थे।  सिर्फ इसी साल सितंबर तक 196 घरों, बिजनेस सेंटर, मंदिरों और पूजा स्थलों में तोड़फोड़ की गई। बांग्लादेश में बढ़ता कट्टरपंथ और अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की वारदातें कोई नई नहीं है। बांग्लादेश में कट्टरपंथ हमेशा हावी होने की कोशिश करता आया है। लेकिन इस बार चिंता की बात ये है कि हिंसा की ये घटनाएं अब तक एक सीमित इलाकों में होती आई थीं। लेकिन पहली बार बांग्लादेश के काफी बड़े इलाके में एक साथ धार्मिक हिंसा भड़की है। 
 

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