'ओपिनियन इंडिया का' में बात हुई जावेद अख्तर से जुड़े विवाद पर। अफगानिस्तान में तालिबानी राज और जावेद अख्तर के विवादास्पद बयान से गर्म हुए माहौल के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में मुस्लिम विद्वानों से मुलाकात की। इस मुलाकात से पहले माना जा रहा था कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर विशेष रणनीति के तहत इस मुलाकात में मुस्लिम विद्वानों से खास चर्चा हो सकती है। लेकिन, इस मुलाकात के दौरान मोहन भागवत ने जो बड़ी बात की, वो ये कि हिन्दू मुसलमान एक हैं यानी उन्होंने उस खाई को पाटने की कोशिश की, जिसमें धर्म के नाम पर हिन्दू मुसलमानों को बांटने की कोशिश हो रही है।
गलत बातों को खामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत हैं फायदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता
शेर तो जावेद अख्तर साहब का ही है। लेकिन इस बार उनके इस शेर को उनके चाहने वालों से लेकर उनके आलोचकों तक ने इतनी गंभीरता से लिया कि उनके ही बयान को खामोशी से सुनना मंजूर नहीं किया। बयान आरएसएस और तालिबान की विचारधारा में समानताओं का था। तो आम लोगों से लेकर राजनीतिक दल तक विरोध से लेकर माफी की मांग तक करते नजर आए। वैसे तो जावेद अख्तर लेखक भी हैं गीतकार भी लेकिन लगता है इसबार तार गलत छेड़ दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना तालिबान से करने वाला उनका विवादित बयान पीछा नहीं छोड़ रहा। पहले बीजेपी विरोध कर रही थी अब शिवसेना ने भी विरोध का बिगुल फूंक दिया। महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस और एनसीपी की साझेदार शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में आरएसस का समर्थन किया और जावेद अख्तर की आलोचना करते हुए लिखा कि भारत हर तरीके से सहिष्णु है इसलिए उसकी तालिबान से तुलना करना ठीक नहीं। 'हिंदू राष्ट्र' की संकल्पना का समर्थन करने वाले तालिबानी मानसिकता वाले हैं, ऐसा कैसे कहा जा सकता है? भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश में जुड़े संगठनों की अवधारणा सौम्य है। कोई ऐसा संगठन होना चाहिए जो हिंदुओं के साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़े। आरएसएस एक राष्ट्र निर्माण संगठन है।
शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ सत्ता में तो है लेकिन कट्टर हिंदुत्व की अपनी राजनीतिक छवि को कभी नहीं छोड़ती। गाहे-बगाहे इसका एहसास कराते रहती ही। बीजेपी ने शिवसेना का खेल समझते सवाल दागे- विरोध और सामना में लेख तो ठीक है- लेकिन जावेद अख्तर की गिरफ्तारी में देर क्यों हो रही है।
तालिबान का क्रूर चेहरा
1-ग्लोबल आतंकी संगठन
2-आतंकी घटनाओं को अंजाम
3-हजारों लोगों का कत्ल
4-महिलाओं पर जुल्म
5-लोगों के हक का हनन
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को जानें
- 1 करोड़ से ज्यादा स्वयं सेवक
- 60 हजार जगह शाखाएं लगती हैं
- संघ के करीब 40 दूसरे संगठन
- हजारों स्कूल, चैरिटी संस्थाएं
- 39 देशों में फैला है नेटवर्क
- संघ से पीएम, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति
- संघ से केंद्र सरकार में 1 दर्जन मंत्री
- संघ से आधा दर्जन मुख्यमंत्री
देश में संघ के योगदान
- कश्मीर सीमा पर निगरानी
- विभाजन पीड़ितों को आश्रय
- 1962 के युद्ध में सेना की मदद
- कारगिल युद्ध के घायलों की सेवा
- आपातकाल के खिलाफ आंदोलन
- 1971 में ओडिशा चक्रवात में सेवा
- भोपाल की गैस त्रासदी में सेवा कार्य
- 1984 दंगों के पीड़ितों की मदद
- गुजरात में भूकंप पीड़ितों की मदद
- सुनामी की प्रलय में सेवा कार्य
- उत्तराखंड त्रासदी में सेवा कार्य