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कूनो नेशनल पार्क में पीएम मोदी ने 8 चीतों को छोड़ा, फिर जंगल में 'चिता मित्रों' से की बातचीत

Updated Sep 17, 2022 | 19:16 IST

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) श्योपुर में 'चीता मित्रों' से बातचीत की।

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मुख्य बातें
  • पीएम मोदी ने देशवासियों को अपने जन्मदिन पर बड़ा रिटर्न्स गिफ्ट दिया है।
  • उन्होंने कहा कि देश में जंगल का कानून बदलने की शुरूआत हो चुकी है।
  • मोदी सरकार का संकल्प है कि हिंदुस्तान फिर से चीतों का घर बने।

आखिरकार 70 साल बाद 8 चीते नामीबिया से भारत लाए गए हैं और उसका क्रेडिट जाता है देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को, पीएम मोदी ने खुद उन्हें मध्य प्रदेश के श्योरपुर में कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में छोड़ा। उसके बाद पीएम मोदी ने 'चीता मित्रों' से बातचीत की। जो पंडित नेहरू नहीं कर सके। जो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह यानी आजाद भारत में किसी की सरकार नहीं कर पाई, उसे मोदी ने कर दिखाया। हिंदुस्तान से 70 सालों से बिलुप्त चीतों की घर वापसी कराकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को अपने जन्मदिन पर बड़ा रिटर्न्स गिफ्ट दिया है। पीएम मोदी ने नामीबिया से आए 8 चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में बने स्पेशल बाड़े में छोड़ा और इसके साथ ही देश में जंगल का कानून बदलने की शुरूआत हो चुकी है। 

कुनो के जंगल को कैसे चीता फ्रेंडली बनाने की कोशिश हो रही है। ये दिखाने से पहले आप ये समझिए चीता की वो खासियत किसकी वजह से उसे जंगल में अपना पैर जमाने में दिक्कत नहीं होगी। चीता रफ्तार का बेताज बादशाह है। मोदी सरकार का संकल्प है कि हिंदुस्तान फिर से चीतों का घर बने। जंगलों में चीतों का प्रजनन हो। जो इसके लिए जरूरी है चीतों की तादाद बढ़े। तभी तो अभी आठ चीते अफ्रीका से आए हैं लेकिन मोदी सरकार चीता प्रोजेक्ट के तहत अगले पांच सालों में चीतों की संख्या 50 तक पहुंचाने की प्लानिंग कर रही है।

चीता की रफ्तार 130 किलोमीटर प्रतिघंटे तक है, तो जगुआर 80 प्रति घंटे की रफ्तार से ही दौड़ पाता है। शेर जिसे जंगल का राजा भी कहते हैं उसकी भी रफ्तार 80 किलोमीटर प्रतिघंटे है तो यूरेशियन लिंक्स जो एक तरह की जंगली बिल्ली है। वो भी 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से दौड़ सकती है। कूगर की बात करें तो इसकी भी रफ्तार यूरेशियन लिंक्स के बराबर ही है। अब बारी आती है बाघ की, जो 64 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। तो बर्फ में रहने वाला स्नो लेपर्ड,  64 किलोमीटर जबकि क्लाउडेड लेपर्ड  64 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से दौड़ सकता है। तो वहीं जंगल में रहने वाला लेपर्ड यानी तेंदुआ की रफ्तार  58km प्रतिघंटे होती है।

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