- कृषि कानून पर पीएम मोदी ने किया ट्वीट, वीडियो शेयर कर की अपील
- कृषि कानूनों पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल की प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो लिंक किया शेयर
- पिछले कई दिनों से आंदोलनरत हैं किसान, सरकार लगातार कर रही है मनाने का प्रयास
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान लगातार आंदोलनरत हैं। वहीं सरकार किसानों को लगातार मनाने का प्रयास कर रही है लेकिन अभी तक कई दौर की बातचीत के बाद भी हल नहीं निकला हुआ है। एक तरफ जहां सरकार ने जहां अपने रूख में नरमी दिखाई है और कानूनों में संशोधन की बात कही है वहीं किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। इन सबके बीच पहली बार इस मुद्दे को लेकर पीएम मोदी ने ट्वीट किया है।
पीएम मोदी ने किया ट्वीट
पीएम मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए बीते दिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा किसान आंदोलन के मसले पर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का लिंक साझा किया और लोगों से उन्हें सुनने की अपील की। पीएम मोदी ने लिखा, 'मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है. इसे जरूर सुनें।'
केंद्रीय मंत्रियों ने की अपील
इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेलमंत्री पीयूष गोयल ने किसान नेताओं से आंदोलन का रास्ता छोड़ सरकार से बातचीत जारी रखने की अपील की है। दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने गुरुवार को कहा कि नए कृषि कानूनों से संबंधित मसलों का हल वार्ता के माध्यम से ही निकलेगा और किसान यूनियनों की इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को लेकर बातचीत के लिए सरकार हमेशा तैयार है।
सरकार है तैयार
केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि, केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद पर आश्वासन देने को तैयार है। सरकार मौजूदा एपीएमसी मंडियों के अंदर और बाहर लेनदेन में एक स्तरीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए तैयार है, सरकार ने कहा है कि, किसी भी विवाद की स्थिति में किसान एसडीएम अदालतों के अलावा सिविल कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। सरकार डंठल (पराली) जलाने और प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक में जुर्माने से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है। यह भी आश्वासन दिया है कि नए कृषि अधिनियमों के तहत किसानों की भूमि की रक्षा की जाएगी।