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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हुए 72 बरस के, जानिए उनसे जुड़ी कई अनसुनी कहानियां

Updated Sep 17, 2022 | 23:26 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 72 बरस के हो गए हैं। पूरा देश 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के साथ साथ पीएम मोदी का 72वां जन्मदिन भी मनाया। जिनकी अगुवाई में भारत ने बीते 8 सालों में नई पहचान हासिल की है। जानिए उनसे जुड़ी कई अनसुनी कहानियां।

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मुख्य बातें
  • नरेंद्र मोदी बिना थके नॉनस्टॉप काम करते हैं।
  • नरेंद्र मोदी ने खुद गरीबी देखी है।
  • नरेंद्र मोदी आर्मी में जाना चाहते थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 72 साल के हो गए। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जैसे गणमान्य व्यक्तियों समेत कई नेताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और मजबूत एवं आत्मनिर्भर  भारत बनाने में उनके योगदान की सराहना की। नरेंद्र मोदी को लेकर कई ऐसी अनसुनी कहानियां हैं। जो आपको शायद ही पता है। यहां आप उनके जीवन से जुड़ी दिलचस्प कहानियों जानें। इमरजेंसी के दौरान नरेंद्र मोदी के काम को लेकर कई दिलचस्प कहानियां हैं। उस दौरान उन्होंने खुद स्कूटर चलाकर RSS के वांटेड नेता को सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचाया था। इसी तरह उस वक्त खबर फैली कि पुलिस ने एक ऐसे नेता को गिरफ्तार कर लिया है। जिसके पास कई अहम कागजात हैं। जिन्हें पुलिस के हाथों में जाने से बचाना बहुत जरूरी है। तब पुलिस की मौजूदगी से उन कागजात को लाने का टास्क नरेंद्र मोदी को ही सौंपा गया था। उस वक्त नानाजी देशमुख को गिरफ्तार कर लिया गया, तब उनके पास एक किताब थी। जिसमें उनसे सहानुभूति रखने वालों के पते लिखे थे। तब वो नरेंद्र मोदी ही थे।जिन्होंने एक-एक शख्स को गिरफ्तारी से बचा लिया। 'इमरजेंसी' के वक्त मोदी ने क्या किया? पुलिस की आंखों में धूल कैसे झोंकी ?

नरेंद्र मोदी से जुड़ा करगिल युद्ध के समय का एक किस्सा भी बेहद प्रेरक है..जब 1999 में बीजेपी नेता के नाते वो खुद करगिल तक गए और देश के वीर जवानों के साथ एकजुटता दिखाई..1999 में वो आरएसएस से बीजेपी में आ चुके थे..तब उनके पास हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी थी। 1999 में करगिल क्यों गए थे मोदी? मोदी का 'जय जवान-जय हिंदुस्तान'

नरेंद्र मोदी बिना थके नॉनस्टॉप काम करते हैं..ये सबलोग जानते हैं..लेकिन क्या आप जानते हैं? जब उन्हें एक दोस्त ने छुट्टी लेने को कहा तो नरेंद्र मोदी ने क्या जवाब दिया? गुजरात बीजेपी के नेता केदार जी तांबे के मुताबिक उन्होंने नरेंद्र मोदी से पूछा कि आप छुट्टी कब लेंगे? आराम कब करेंगे तो उन्होंने जवाब दिया..इस जीवन में नहीं। अगर अगला जन्म मिला तो शायद उस जन्म में आराम संभव है। अगले जन्म में क्या करेंगे मोदी? आराम से मोदी को नफरत क्यों ?

6 साल की बच्ची से क्यों मिले मोदी? प्रधानमंत्री की दिल जीतने वाली कहानी

नरेंद्र मोदी ने खुद गरीबी देखी है। ऐसे में गरीब कल्याण उनका सबसे बड़ा एजेंडा है..इसकी सबसे बड़ी मिसाल पुणे की 6 साल की बच्ची वैशाली की कहानी है। जिसके दिल में सुराख था। उसने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर इलाज में मदद मांगी तो नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल मुफ्त उसके इलाज का इंतजाम किया..जब वैशाली का इलाज हो गया तो एक बार फिर से उसने खत लिखकर प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया। 25 जून 2016 को जब मोदी पुणे गए तो उन्होंने खुद वैशाली और उसके परिवार से मुलाकात भी की।

1991 के दौरान मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में बीजेपी ने देशभर में एकता यात्रा निकाली। इस दौरान बेंगलुरु का एक किस्सा बेहद भावुक करने वाला है..एकता यात्रा के दौरान बेंगलुरु में कुछ शरारती तत्वों ने मुरली मनोहर जोशी पर हमला कर दिया..लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं ने हमलवारों को पकड़ लिया और उनकी जबरदस्त पिटाई कर दी..मार खाने के बाद बदमाश बेदम हो गए..पानी पिलाने की गुहार लगाने लगे तो वो नरेंद्र मोदी ही थे..जिन्होंने अपने हाथों से पानी पिलाकर उन्हें जीवनदान दिया।

'मोदी-जेपी' की 1973 वाली कहानी

वर्ष 1973 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया था । तब वो ABVP के सहयोगी और युवा प्रचारक थे । नवनिर्माण आंदोलन हर मायने में एक जन आंदोलन था उसमें समाज के हर वर्ग के लोग शामिल थे । नवनिर्माण आंदोलन के कारण ही गुजरात में तत्कालीन कांग्रेस सरकार गिर गई थी । उसी दौर में अहमदाबाद आए जयप्रकाश नारायण से भी नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई । जेपी से मुलाकात ने नरेंद्र मोदी की जीवन पर गहरी छाप छोड़ी । 

किस संगीत के शौकीन थे मोदी?

बहुत कम लोगों को पता है कि नरेंद्र मोदी को रबींद्र संगीत बहुत पसंद है । बचपन में रबींद्र संगीत सुनने के लिए नरेंद्र  मोदी सुबह साढ़े 5 बजे ही उठ जाते थे । रेडियो पर सुबह-सुबह रबींद्र संगीत का प्रसारण होता था...जिसे सुनना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था । नरेंद्र मोदी को रबिन्द्र नाथ टैगोर की कविताएं भी बेहद पसंद है..हालांकि उन्हें बंगाली बहुत अच्छे से नहीं आती । 

नरेंद्र मोदी से कब मिले अमित शाह ?

नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी गुजरात से दिल्ली तक साथ है । बहुत कम लोगों को पता है कि दोनों की पहली मुलाकात आज से 32 साल 1988 में हुई थी। बीजेपी के संगठन पर्व कार्यक्रम के दौरान पहली बार अमित शाह नरेंद्र मोदी से मिले । उस दौरान दोनों की दो घंटे तक मुलाकात हुई। तब अमित शाह नरेंद्र मोदी की ऊर्जा, उत्साह और रणनीति के कायल हो गए और तब से अमित शाह..नरेंद्र मोदी के साथ हैं।  

नरेंद्र मोदी ने किसे कहा दूसरी 'मां'?

नरेंद्र मोदी संगठन की बदौलत ही सत्ता के शिखर तक पहुंचे हैं और  वो जानते हैं कि अगर संगठन नहीं तो कुछ नहीं । मई 2014 में एक भाषण के दौरान उन्होंने बीजेपी को अपनी मां कहा था और पार्टी के घोषणा पत्र की तुलना मां के कहे हुए शब्द से की थी । उन्होंने कहा था कि जिस तरह मां की बातें पवित्र होती हैं..उसी तरह से पार्टी का घोषणा पत्र भी पवित्र होता है । 
 

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