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गुजरात दंगा मामलों में एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत

Updated Sep 02, 2022 | 16:38 IST

गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के केस में एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। साथ ही कहा कि गुजरात हाई कोई उनकी जमानत पर स्वतंत्र रूप से और बिना कि प्रभावित हुए फैसला करेगी।

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मुख्य बातें
  • तीस्ता सीतलवाड़ को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने को कहा गया।
  • गुजरात हाईकोर्ट उनकी जमानत पर फैसला करेगी।
  • तीस्ता को बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को उस मामले में अंतरिम जमानत दी। जिसमें उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेज बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ लंबित जांच में पूरा सहयोग देंगी और उन्हें अपना पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए कहा गया। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने इस मामले पर केवल अंतरिम जमानत के दृष्टिकोण से विचार किया है और गुजरात हाई कोर्ट तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर इस अदालत द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी से स्वतंत्र और अप्रभावित रूप से फैसला करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ को गुजरात हाईकोर्ट में नियमित जमानत याचिका पर निर्णय होने तक अपना पासपोर्ट निचली अदालत के पास जमा कराने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देरी पर हैरानी जताते हुए सवाल किया था कि गुजरात हाई कोर्ट ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत अर्जी पर जवाब के लिए राज्य सरकार को नोटिस भेजने के बाद क्यों 6 सप्ताह बाद 19 सितंबर को इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। कोर्ट ने राज्य सरकार से उसे शुक्रवार दोपहर दो बजे तक यह बताने को कहा था कि क्या इस तरह की परिपाटी है। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट तथा न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सीतलवाड़ की याचिका पर आगे की सुनवाई शुक्रवार को करना तय किया था।

सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में कथित रूप से बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
चीफ जस्टिस ने कहा था कि हम इस मामले में कल दोपहर दो बजे सुनवाई करेंगे। हमें ऐसी कोई मिसाल दें जिसमें ऐसे मामलों में किसी महिला आरोपी को हाई कोर्ट से इस तरह तारीख मिली हो। या तो ये महिला अपवाद हैं। यह अदालत यह तारीख कैसे दे सकती है? क्या यह गुजरात में मानक व्यवस्था है? गुजरात हाई कोर्ट ने सीतलवाड़ की जमानत अर्जी पर तीन अगस्त को राज्य सरकार को नोटिस भेजा था और मामले में सुनवाई की तारीख 19 सितंबर तय की थी।

अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई को मामले में सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार की जमानत अर्जियों को खारिज करते हुए कहा था कि अगर उन्हें रिहा किया जाता है तो गलती करने वालों को संदेश जाएगा कि कोई व्यक्ति पूरी छूट के साथ आरोप लगा सकता है और बच सकता है।

सीतलवाड़ और श्रीकुमार दोनों को जून में गिरफ्तार किया गया था। उन पर 2002 के गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए सबूत तैयार करने का आरोप है। वे साबरमती सेंट्रल जेल में बंद हैं। श्रीकुमार ने भी जमानत के लिए हाई कोर्ट में गुहार लगाई है। मामले में तीसरे आरोपी पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है। भट्ट को जब इस मामले में गिरफ्तार किया गया था तब वह एक अन्य आपराधिक मामले में पहले ही जेल में थे।

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