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आरोपियों पर चुप्पी, बुलडोजर पर हंगामा, क्या पत्थर फेंकने वालों का सही इलाज बुलडोजर ही है?

Updated Jun 14, 2022 | 22:19 IST

नुपुर शर्मा के बयान के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान देश के कई शहरों में 10 जून के दिन हिंसा हुई थी। यूपी के प्रयागराज में हुई हिंसा के मामले में मुख्य आरोपी जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप का घर प्रयागराज डेवलपमेंट अथॉरिटी ने गिरा दिया | अब उनके समर्थन में असदुद्दीन ओवैसी भी खुलकर आ गए हैं।

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10 जून को हुई हिंसा के आरोपियों पर योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। एक ओर असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता हैं जो कह रहे हैं कि मुसलमानों को सामूहिक सजा मिल रही है। तो दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों समेत 12 जाने-माने लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से बुलडोजर एक्शन पर योगी सरकार के खिलाफ एक्शन करने की चिट्ठी लिख दी है। बात सिर्फ यूपी की नहीं। 10 जून को झारखंड में नौबत ये आई थी कि पुलिस को गोली चलानी पड़ी थी। लेकिन वहां से नेताओं के ऐसे सुर सामने आ रहे जिसमें पत्थरबाजों को नादान बताने की कोशिश हो रही है।

सवाल पब्लिक का है कि क्या एक इको सिस्टम है, जो फिर हिंसा के आरोपियों की ढाल बनकर खड़ा हो गया है? या पत्थरबाजों पर एक्शन के मामले में कहीं न कहीं जल्दबाजी हो रही? सवाल ये भी कि क्या बुलडोजर वाले एक्शन से पत्थरबाजों का पक्का इलाज हो सकता है? 10 जून को जुमे की नमाज के बाद प्रयागराज, सहारनपुर, रांची में हिंसा हुई थी। प्रयागराज के मामले में वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया नाम के संगठन से जुड़ा मोहम्मद जावेद उर्फ जावेद पंप आरोपी है। 12 जून को प्रयागराज में एक आलीशान घर को बुलडोजर से गिरा दिया गया। ये घर जावेद की पत्नी परवीन फातिमा के नाम पर बताया जा रहा है। प्रशासन के मुताबिक डिमोलिशन इसलिए हुआ क्योंकि ये घर उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1973 के नियमों का उल्लंघन करता है। लेकिन जावेद की पत्नी इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंच चुकी हैं।  

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जावेद के परिवार का दावा है कि प्रशासन ने डिमोलिशन से पहले जो 1 दिन का नोटिस दिया वो जावेद पंप के नाम पर था। जबकि घर परवीन के नाम पर है। साथ ही गिराये गए घर का पानी का बिल और निगम का टैक्स भरा गया था। इसी आधार पर योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। लेकिन एक अंग्रेजी अखबार में एक PDA अफसर के हवाले से छपा है कि मकान पर एक नेम प्लेट था जिस पर 'Javed M' लिखा था। और वहां के स्थानीय लोगों ने मकान को मोहम्मद जावेद का बताया, इसलिए नोटिस उनके नाम पर जारी हुआ।

सवाल पब्लिक का 

  1. क्या पत्थर फेंकने वालों का सही इलाज बुलडोजर ही है? 
  2. क्या हिंसा में शामिल लोगों को बचाने के लिए इको सिस्टम एक्टिव हो जाता है?
  3. हिंसा करने वालों में मुसलमान क्यों खोज रहे हैं ओवैसी?

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