'सवाल पब्लिक का' में मुद्दा पंजाब था। पंजाब के साथ राहुल गांधी की लीडरशीप क्वालिटी पर सवाल उठ रहे हैं और सवाल भी वो लोग उठा रहे हैं जो कभी सोनिया जी और राहुल जी के राइट और लेफ्ट हैंड होते थे। जो कभी गांधी परिवार के फर्स्ट एडवाइजर होते थे। कपिल सिब्बल ने कहा कि एक बात तो स्पष्ट है कि हम जी हजूरी करने नहीं आए हैं। ये तो बात साफ है। हम अपनी बात रखेंगे और रखते जाएंगे। और जो अपनी मांगे हैं वो हम दोहराएंगे। हमारी पार्टी में फिलहाल कोई अध्यक्ष नहीं है, तो हमें नहीं पता कि पार्टी के फैसले कौन ले रहा है। हमें पता है, लेकिन फिर भी हमें नहीं पता। जो लोग इनके खासमखास थे वो तो इनको छोड़कर चले गए। और जो लोग ये समझते हैं इनके खासमखास नहीं हैं वो आज भी इनके साथ खड़े हैं।
यूथ कांग्रेस नेता श्रीनिवास ने सिब्बल को जवाब देते हुए कहा कि सुनिए 'जी-हुजूर':- पार्टी की 'अध्यक्ष' और 'नेतृत्व' वही है, जिन्होंने आपको हमेशा संसद पहुंचाया, पार्टी के अच्छे वक्त में आपको 'मंत्री' बनाया, विपक्ष में रहे, तो आपको राज्यसभा पहुंचाया, अच्छे-बुरे वक्त में सदैव जिम्मेदारियों से नवाजा.. और जब 'वक्त' संघर्ष का आया, तो...
एक ने कहा जी हुजूरी..दूसरे ने जवाब दिया जी-हुजूर । कांग्रेस में हुजूर-हुजूर सुनते-सुनते मुझे एक सॉन्ग याद आता है.. हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी। अब एक और बयान
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी कहा कि पंजाब एक सरहद का सूबा है। अफगानिस्तान में जिस तरह का घटनाक्रम घटा है उसे अगर आप संज्ञान में ले तो पंजाब और कश्मीर के ऊपर एक बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है। तो इस परिस्थिति में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर, इस चीज से ऊपर उठकर कि मेरा कोई मंत्री बना या नहीं बना, या मेरे कहने पर कोई AG बना या नहीं बना, या मेरे कहने पर कोई और अफसर लगा या नहीं लगा। इस सब से ऊपर उठकर जो सूबे के विकास के बारे में, लोगों के कल्याण के बारे में, उन किसानों के बारे में जो अपना घर बार छोड़कर एक साल से लड़ाई लड़ रहे हैं उनके बारे में सोचने की जरूरत है। और जिस तरह से ये सारी परिस्थिति उजागर हुई है इसके बहुत दूरगामी परिणाम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ सकते हैं। और मुझे इस बात को कहने में कोई संकोच नहीं है कि जिन लोगों को जिम्मेदारी दी गई थी, वो पंजाब की संवेदशीलता, पंजाब की संगीन परिस्थिति.. क्योंकि पाकिस्तान की ओर रोज वहां घुसपैठ होती है ड्रोन्स भेजे जाते हैं, हथियार भेजे जाते हैं, इन सभी चीजों को संज्ञान में लेते हुए सबसे पहली प्राथमिकता ये होनी चाहिए थी कि पंजाब की राजनीतिक स्थिरता को किस तरह से बहाल रखा जाए। और दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जिन लोगों को जिम्मेदारी दी गई थी वो पंजाब को समझ नहीं पाए। जितना मैं कैप्टन साहब को समझ पाया हूं, वो एक धर्मनिरपेक्ष इंसान हैं। और राष्ट्रवाद उनमें कूट-कूटकर भरा है। फौजी होने के नाते और जो वो लिखते-पढ़ते रहते हैं, तो इन सभी परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए कैप्टन साहब कोई फैसला करेंगे तो मुझे लगता है कि वो फैसला देश हित में और देशहित को सामने रखते हुए जरूर फैसला करेंगे।
सुनील जाखड़ का कहना है कि ये क्रिकेट का खेल नहीं है। इस पूरे वाक्ये में समझौता केवल एक बात से हुआ है, और वो है कांग्रेस की लीडरशिप का पीसीसी अध्यक्ष पर जताया गया भरोसा...किसी भी चीज से इसकी आपूर्ति नहीं हो सकती। उन्होंने अपनी आकांक्षाओं को ऊपर रखकर अजीबो-गरीब स्थिति पैदा की है।
इतना सब हो रहा है..लेकिन राहुल जी ने एक शब्द नहीं कहा और दूसरी तरफ उनकी टीम में सब बोले जा रहे हैं। एक दूसरे को ही टारगेट कर रहे हैं। मतलब टीम CAT FIGHT कर रही टीम का मुखिया के हाव-भाव से लगता है कि उसे पता ही नहीं कि हो क्या रहा? या ये हो सकता है कि समझ में ही नहीं आ रहा कि क्या हो रहा है..कैसे रिएक्ट करें? आज राहुल जी वायनाड में थे..बॉर्डर के भूगोल पर पूरा ज्ञान दिए..सावरकर की सोच का भारत और उनकी सोच के भारत में क्या अंतर है ये मंच से समझाया..लेकिन..लेकिन पंजाब पर कब बोलेगे भाई। सवाल पब्लिक का भी है
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