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दूरियां अब नजदीकियों में बदल रहीं, ओम प्रकाश राजभर को मिली Y कैटेगरी की सुरक्षा  

Updated Jul 22, 2022 | 09:49 IST

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुरक्षा देकर भाजपा ने राजभर को एक तरह से दूरियां खत्म करने की कोशिश की है। विधानसभा चुनाव के बाद राजभर ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बारे में जिस तरह के बयान दिए हैं, उन्हें देखने से जाहिर है कि सपा और सुभासपा में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।

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मुख्य बातें
  • हाल के दिनों में राजभर ने सपा मुखिया अखिलेश की आलोचना की है
  • आने वाले दिनों में सुभासपा चीफ राजभर भाजपा का दामन थाम सकते हैं
  • राष्ट्रपति चुनाव में राजभर ने भाजपा के शीर्ष नेताओं की तारीफ की है

OM Prakash Rajbhar : यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भजापा) पर तीखा हमला बोलने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) क्या भगवा पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं, इसका सीधा जवाब अभी तो नहीं दिया जा सकता लेकिन इतना तो साफ है कि भाजपा के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ने लगी हैं। राजभर आने वाले समय में भाजपा में यदि शामिल होते हैं इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। राष्ट्रपति चुनाव में सुभासपा ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया है और अब योगी सरकार ने उन्हें वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी है। वाई श्रेणी की सुरक्षा में 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। जिसमें दो कमांडो तैनात होते हैं बाकी पुलिसकर्मी होते हैं। 

राजभर से दूरियां खत्म करने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुरक्षा देकर भाजपा ने राजभर को एक तरह से दूरियां खत्म करने की कोशिश की है। विधानसभा चुनाव के बाद राजभर ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बारे में जिस तरह के बयान दिए हैं, उन्हें देखने से जाहिर है कि सपा और सुभासपा में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। राजभर ने पिछले दिनों कहा कि अखिलेश वातानुकूलित कमरों (एसी) के आदी हो गए हैं, उपचुनावों के दौरान जनता के बीच नही गए जबकि वह उनकी पार्टी तपती गरमी के बीच प्रचार किया। सुभासपा प्रमुख ने अखिलेश की आलोचना करते हुए दूसरे बयान भी दिए। राजभर की भाजपा के प्रति नरमी भी दूसरा संकेत दे रही है। 

सपा के साथ राजभर को सियासी फायदा नजर नहीं आ रहा
जानकार मान रहे हैं कि राजभर को अब सपा के साथ रहने में कोई सियासी फायदा नजर नहीं आ रहा है। वह अपने लिए नई जमीन तलाश रहे हैं। भाजपा के साथ उनका रिश्ता पुराना है। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में वह मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उन्होंने सरकार में ज्यादा तवज्जो नहीं मिलने का आरोप लगाकर भाजपा का साथ छोड़ दिया और अखिलेश के साथ आ गए। लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली हार और बाद की राजनीतिक स्थितियों को देखते हुए उन्होंने भाजपा के साथ नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश की है। उन्होंने अमित शाह, जेपी नड्डा और भाजपा के बड़े नेताओं की तारीफ की है। 

राष्ट्रपति चुनाव से पहले सपा गठबंधन से अलग हो सकते है राजभर और शिवपाल

राष्ट्रपति चुनाव में जाहिर की नाराजगी
सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में राजभर के साथ शिवपाल यादव भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं क्योंकि दोनों नेता सपा से नाराज चल रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव में राजभर की नाराजगी सामने आई। उन्होंने कहा कि विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने के लिए उनके पास कोई नहीं आया। जबकि एनडीए ने अपने उम्मीदार के लिए उनके कई बार संपर्क किया।   

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