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Jaipur Eco Tourism: जयपुर के आसपास की वन भूमि को ईको-टूरिज्म के रूप में किया जाएगा विकसित, ये है स्पेशल प्लान

Updated May 13, 2022 | 12:16 IST

Jaipur Eco Tourism Place: जयपुर के आसपास की वन भूमि को विकसित करने की तैयारी है। इसके लिए बड़ी धनराशि की स्वीकृति मिली है। जल्द ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। ईको-टूरिज्म पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
ईको-टूरिज्म प्लेस बनेगा जयपुर (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुख्य बातें
  • पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया गया कदम
  • इस परियोजना के लिए 44 करोड़ रुपये स्वीकृत
  • पशु-पक्षियों की सुरक्षा के लिए होगी देखरेख

Jaipur Eco Tourism Place News: राजस्थान सरकार की ओर से जयपुर को ईको-टूरिज्म के रूप में विकसित करने के लिए तैयारी की जा रही है। इसको लेकर जयपुर के आसपास की वन भूमि को ईको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जाएगा। जयपुर विकास प्राधिकरण ने इस परियोजना के लिए मंजूरी दे दी है। इस क्षेत्र के पर्यटन के हिसाब से विकास होने पर पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। पशु-पक्षियों का संवर्धन और सुरक्षा भी होगी।

जयपुर नगर विकास, स्वायत्त शासन एवं आवास मंत्री शांति धारीवाल ने इस परियोजना के लिए 44 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इस योजना से स्वच्छ वातावरण और परिवेश तैयार किया जाएगा। इसके तैयार होने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आ सकेंगे और नेचर से जुड़ सकेंगे।

वन्य जीवों के लिए प्रजनन योजना

सिलवन जैव विविधता वन परियोजना के विकास से वन विभाग की 113 हेक्टेयर भूमि सुमैल रोड पर आएगी। 7.60 करोड़ खर्च किए जाएंगे। अरावली में पाए जाने वाले लुप्तप्राय वनस्पतियों, जीवों और पूर्व से बेरी के पौधों की रक्षा की जाएगी। तितली प्रजनन, मोर संरक्षण, चीतल प्रजनन क्षेत्रों का विकास किया जाएगा।

पक्षियों के लिए आर्द्रभूमि संरक्षण  

नेवाटा बांध के बैक वाटर से वनखान मुहाना के वन क्षेत्र में स्थित 244 हेक्टेयर भूमि पर 8 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। अधिकांश क्षेत्र में साल भर पानी रहता है। यह स्थान आर्द्रभूमि पक्षियों, प्रवासी और निवासी पक्षियों के लिए बहुत उपयोगी है। पक्षियों की लगभग 80 प्रजातियां यहां प्रवास करती हैं।

स्वच्छ वातावरण देने की पहल

इस परियोजना में जैव विविधता पर जोर दिया जाएगा। 6.80 करोड़ की लागत से 107 हेक्टेयर भूमि इसके अंदर आएगी। यह इलाका रिंग रोड के पास है। क्षेत्र अतिक्रमण से प्रभावित न हो, आबादी को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने के लिए और वन्य जीवन, वृक्षारोपण, मृदा जल संरक्षण आदि का ध्यान रखा जाएगा।

परियोजना के निर्माण से क्षेत्र बनेगा सुरम्य

जैव विविधता वन परियोजना बीड गोविंदपुरा (आरक्षित वन) के 147 हेक्टेयर में से 5 करोड़ रुपये की लागत से 100 हेक्टेयर भूमि का विकास किया जाएगा। यह क्षेत्र घनी आबादी के बीच स्थित है। परियोजना का निर्माण क्षेत्र को सुरम्य बना देगा और क्षेत्र के निवासियों और वन क्षेत्र में यात्रा करने वालों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करेगा।

तेंदुआ संरक्षण पर 10.80 करोड़ होगें खर्च

अमागढ़ आरक्षित वन में तेंदुआ संरक्षण परियोजना 10.80 करोड़ रुपये की लागत से 1636 हेक्टेयर भूमि पर लाई जाएगी। खो नागोरिया वन प्रखंड के वन क्षेत्र के समीप स्थित अमागढ़ एवं लाल वेरी वन क्षेत्रों का विकास किया जाएगा। योजना के पूरा होने से झालाना तेंदुआ अभयारण्य में तेंदुआ, जरख, रताल और अन्य प्रजातियों का संरक्षण संभव होगा।

टाइगर सफारी परियोजना विकसित होगी

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में टाइगर सफारी परियोजना विकसित की जाएगी। इसमें 4.53 करोड़ खर्च किए जाएंगे। यह इलाका आमेर पर्यटन क्षेत्र के करीब है। पूर्व में जूलॉजिकल पार्क लॉयन सफारी के विकास से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। जैविक पार्क वन्यजीवों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की 285 प्रजातियों का घर है।

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