- गोगाभक्त करते हैं खतरनाक सांपों के संग डांस
- लोक वाद्यों पर पारंपरिक धुनों पर नाचते हैं गोगा भक्त
- लोक देवता को प्रसन्न करने के लिए उठाते हैं यह खतरा
Rajasthan Snake Dance: जहर से लबरेज सांप जिनका ख्याल आते ही शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। खासकर राजस्थान के रेतीले धोरों में बसने वाले सांप जिनका काटा पानी नहीं मांगता। ऐसे में उन्हें फूलों के हार के जैसे गले में डालकर डांस किया जाए तो ये देखकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जी हां, ऐसा ही नजारा लोकदेवता जाहरवीर गोगाजी की नवमी पर राजस्थान के सोने से चमकते धोरों के बीच बसे चूरू जिले में देखने को मिलता है।
इस दिन गोगामेड़ी पर लगने वाले मेले में लोग जहरीले नागों को गले में हार की तरह डाल कर पारंपरिक नृत्य करते हैं। गोगानवमी के मौके पर अपने लोक देवता को प्रसन्न करने के लिए गोगा भक्त ऐसा करते हैं। पुरातन मान्यता है कि, लोकदेवता के प्रसन्न होने के कारण लोगों को सांपों से कोई खतरा नहीं होता है।
गोगाजी प्रसन्न तो सांप नुकसान नहीं पहुंचाते
गोगा भक्त बताते हैं कि, भाद्रपद माह में खेतों में फसलों की देखभाल ज्यादा करनी पड़ती है। यही वक्त होता है जब विषधर खेतों में अधिक संख्या में सक्रिय रहते हैं। ऐसे में किसान व ग्रामीण अंचल के लोग इनसे बचने के लिए गोगाजी की आराधना करते हैं। गोगानवमी के दिन श्रद्धालु गोगाजी के खीर - चूरमे का भोग लगाते हैं। वहीं गोगा भक्त ढोल, नगाड़ों व मंजीरों की पारंपरिक लोक धुनों पर गले में कोबरा, करैत, रसेल वाइपर जैसी जहरीली प्रजातियों के सांपों को गले में डालकर नृत्य करते हैं। कई भक्त मोनिटर लिजर्ड, व डेजर्ट लिजर्ड को भी पकड़कर मेले में लाकर प्रदर्शन करते हैं। हालांकि यह वन्यजीव अधिनियम के तहत कानूनन अपराध है। मगर गोगाभक्त इन जीवों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए अपनी श्रद्धा के तहत लाते हैं। बाद में इन्हें सुरक्षित जंगलों में छोड़ देते हैं।
सांप्रदायिक सद्भाव की नजीर हैं जाहरवीर गोगाजी
अतीत की अगर बात करें तो गोगाजी महाराज चूरू के गांव ददरेवा के राजपरिवार के थे। उन्होंने अपने शासन काल में यहां से सोमनाथ जाकर महमूद गजनवी से युद्ध कर उसे खदेड़ दिया था। जाहर वीर गोगाजी गुरु गोरखनाथ के शिष्य थे। उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में चूरू जिले के गांव ददरेवा में हुआ था। इनके ददरेवा गांव में मेला लगता है। इनका ससुराल यूपी में था, इसी कारण यूपी के लोग ददरेवा में गोगानवमी पर इनकी पूजा करने आते हैं। इनके मंदिर में हिंदू- मुस्लिम समाज के लोग मन्नत मांगने आते हैं।