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Jaipur News: मां को कावड़ में बैठा कर करवाया तीर्थ, जानिए कलयुग के श्रवण कुमार की पूरी कहानी

Updated Aug 04, 2022 | 16:05 IST

Jaipur News: मां का कहना टाल नहीं सका कलयुग का श्रवण बेटा सुमेर सिंह और उसे तीर्थ पर ले जाने की तैयारी करने लगा। वृद्धा उगम कंवर के पौत्र पृथ्वी सिंह ने बताया कि दादी की पदयात्रा के संकल्प को पूरा करने के लिए सबसे पहले एक कावड़ तैयार की।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
मां को बेटे ने कावड़ से करवाया तीर्थ
मुख्य बातें
  • सौ साल की उगम कंवर 15 बार पैदल जा चुकी लोहागर्ल
  • बेटे ने मां की इच्छा पूरी करने के लिए कावड़ तैयार की
  • 25 घंटे में 54 किमी तीर्थाटन पूरा किया

Jaipur News: सोशल मीडिया पर आजकल परिवारों के टूटने व बड़े-बूढ़ों पर अत्याचार की घटनाएं अक्सर जानने-सुनने को मिलती हैं। वृद्ध माता-पिता को मारने-पीटने, घर से बाहर कर वृद्धाश्रमों में दाखिल करवाने के शर्मनाक मामलों के बीच एक सुखद नजीर सामने आई है। मामला जयपुर के नजदीकी गांव सांवलोदा धायलान का है। उम्र का शतक लगा चुकी मां अब चल नहीं सकती। लोहागर्ल तीर्थ की डेढ़ दर्जन पद यात्राएं कर चुकी मां उगम कंवर ने फिर से तीर्थ यात्रा की इच्छा जताई।

मां का कहना टाल नहीं सका कलयुग का श्रवण बेटा सुमेर सिंह और उसे तीर्थ पर ले जाने की तैयारी करने लगा। वृद्धा उगम कंवर के पौत्र पृथ्वी सिंह ने बताया कि दादी की पदयात्रा के संकल्प को पूरा करने के लिए सबसे पहले एक कावड़ तैयार की गई। इसके बाद दादी को कावड़ में बैठा कर उसे कंधे पर उठाया और तीर्थ के निकल पड़े। इसमें सबसे खास बात तो ये रही कि परिवार के अन्य लोग भी पुण्य के इस कार्य में भागीदार बनें। बम भोले, जय शिव व हर हर महादेव के उद्घोष के साथ 54 किमी की यात्रा पूरी करवाई। अब हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है। 

तीर्थाटन में लगे 25 घंटे

इस अनूठी कावड़ यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए पौत्र पृथ्वी सिंह ने बताया कि लोहागर्ल में दादी को तीर्थ स्नान करवाने के बाद उनका जत्था शाम 5 बजे गांव लौटने के लिए रवाना हुआ। यात्रा में कई जगह पड़ाव के बाद वे करीब 25 घंटे के बाद गांव में स्थित शिव मंदिर पहुंचे। उन्होंने बताया कि तीर्थ यात्रा में परिवार के मोहन सिंह, सुगम सिंह, भैंरो सिंह, प्रेम सिंह, जीवराज सिंह, मंगू सिंह, महिपाल सिंह, कुलदीप सिंह व रतन खीचड आदि ने सहयोग किया। वहीं परिवार की बेटियां भी दादी का हौसला बढ़ाती रहीं। 

भावुक हो उठी शतकवीर मां 

100 वर्षीय उगम कंवर तीर्थ यात्रा का अपना संकल्प पूरा होने के बाद भावुक हो गई। उसकी दुआओं के लिए उठे हाथ अब दामन फैलाकर आशीर्वाद दे रहे थे। बूढ़ी आंखें नम हो गई। खुशी की अविरल अश्रुधारा उसके अहसासों की कहानी को बयां कर रहे थे। इधर, बेटे व पौत्र अपना फर्ज निभाकर खुद को धन्य महसूस कर रहे थे। कलयुग में भी कावड़ से तीर्थाटन की अनूठी कहानी को जिसने भी सुना वह हैरान रह गया। यात्रा के बीच वृद्धा को जो भी मिला उससे एक ही अरदास की कि, गांव की संस्कृति, गोमाता व पर्यावरण को बचाएं। सुमेर सिंह ने बताया कि वे खेती से परिवार का बसर कर रहे हैं। चार साल पहले खाड़ी देश में नौकरी छोड़ वतन लौटे थे। 

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