- जवान के शरीर को एके-47 की गोलियों से बचाएगा भाभा कवच
- ओईएफ में बनी बुलेट प्रूफ जैकेट का एके-47 की गोलियों का नहीं होगा कोई असर
- 50 मीटर दूर से चलीं 18 गोलियां भी झेलने में सक्षम है जैकेट
Kanpur OEF News: निगमीकरण के बाद ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड की इकाई आर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्टरी (ओईएफ) कानपुर ने प्रूफ जैकेट (भाभा कवच) तैयार की है। भाभा कवच के नाम से तैयार यह बुलेट प्रूफ जैकेट गर्दन से लेकर जांघ तक एके-47 की गोलियों से रक्षा करेगी। मिदानी समूह के साथ संयुक्त रूप से बनाई गई ये जैकेट 360 डिग्री बुलेट प्रोटेक्शन से लैस ओईएफ की पहली जैकेट है। मंगलवार को सभागार में समारोह का आयोजन किया गया। इसमें निर्माणी के अस्थायी कार्यभार अधिकारी विजय कुमार चौधरी ने अपर महाप्रबंधक एमसी बालासुब्रमण्यम के साथ असम पुलिस के एसआई राम प्रसाद को यह जैकेट सौंप दी।
इस जैकेट में खास बात यह है कि इस पर एके-47 की गोलियों का भी असर नहीं होगा। इस जैकेट का 50 मीटर दूर से मारी गईं 18 गोलियां भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी। ऐसे ही नाइन एमएम पिस्टल से 10 मीटर की दूरी से मारी गई गोलियों का भी कोई असर नहीं होगा।
निगमीकरण के बाद उत्पादन बढ़ा
आपको बता दें कि निगमीकरण से पहले आर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्टरी (ओईएफ) ने 280 करोड़ के उत्पाद बनाए थे। अब 417 करोड़ के उत्पादन निर्माणी बना चुक गई है। ओईएफ द्वारा विकसित भाभा कवच निर्माणी के अस्थायी कार्यभार अधिकारी विजय कुमार चौधरी ने बताया कि असम पुलिस ने 164 भाभा कवच का ऑर्डर दिया था। इस जैकेट को बनाने के लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने कार्बन नैनो ट्यूब टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत मिदानी को सहयोग किया। भाभा कवच ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड और मिदानी द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
असम के बाद बिहार पुलिस ने भी 20 जैकेटों का दिया ऑर्डर
उन्होंने बताया कि असम पुलिस के बाद अब बिहार पुलिस ने भी 20 जैकेटों का ऑर्डर दिया है, इस ऑर्डर को इस साल के अंत में पूरा कर लेंगे। जैकेट भारतीय मानक ब्यूरो लेवल पांच के साथ-साथ 360 डिग्री पर जवानों को सुरक्षा देने में कारगर है। यह जैकेट ऐसी है कि इसे पहनने के बाद गर्दन और कंधे तक सुरक्षित रहेंगे। जैकेट का वजन 9.3 किलोग्राम है। उन्होंने बताया कि यह बुलेट प्रूफ जैकेट अब तक की सबसे हल्की है। दो मैगजीन के साथ-साथ दो ग्रेनेड पॉकेट भी बुलेट प्रूफ जैकेट में लगाए गए हैं। इसे धोया भी जा सकेगा। कम से कम पांच साल तक इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इस्तेमाल करने वाले उत्पादों की मांग बढ़ी
अपर महाप्रबंधक वीके चौधरी के अनुसार, लद्दाख की गलवान घाटी में जून 2020 को चीनी सैनिकों के साथ जवानों के टकराव के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उपयोग करने वाले उत्पादों की मांग पांच गुना बढ़ी है। बर्फ में चलने वाले बूट क्रैम्पटन, लाइट टेंट्स, टेंट आर्कटिक समेत दर्जनों उत्पादों की काफी मांग बढ़ गई है।