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Bhastrika Pranayama: भस्त्रिका प्राणायाम करने का ये है तरीका, शरीर के इस हिस्से के लिए होता है बेहद फायदेमंद

Updated May 27, 2020 | 10:58 IST

Bhastrika Pranayama: भस्त्रिका प्राणायाम योगासन का एक प्रकार है। ये एक प्रकार का ब्रीदिंग एक्सरसाइज है इससे फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं का निदान होता है। जानते हैं भस्त्रिका प्राणायाम करने का तरीका और फायदे-

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भस्त्रिका प्राणायाम
मुख्य बातें
  • भस्त्रिका प्राणायाम योगासन का एक प्रकार है
  • ये एक प्रकार का ब्रीदिंग एक्सरसाइज है
  • इस प्राणायाम से फेफड़ों से जुड़ी समस्यां का निदान होता है

योग भारत में सदियों पुरानी परंपरा रही है। कई रोगों के इलाज के लिए योग और प्राणायाम का इस्तेमाल किया जाता रहा है। प्राणायाम को गंभीर से गंभीर बीमारियों का अचूक इलाज माना जाता रहा है। योग क्रिया में सबसे बड़ी भूमिका श्वास की होती है। प्राणायाम का सीधा-सीधा मतलब होता है अपनी सांसों पर नियंत्रण रखना। इसका शारीरिक लाभ ही नहीं बल्कि मानसिक लाभ भी है। 

ब्रिदिंग एक्सरसाइज के लिए प्राणायाम को बेस्ट माना जाता है। इसके लिए भस्त्रिका प्राणायाम को सबसे बढ़िया कहा गया है। इस प्राणायाम के करने से फेफड़ों से जुड़ी सबी बीमारियों का निदान हो जाता है। अगर आपको फेफड़ों से जुड़ी बमारी है या श्वास लेने की समस्या है तो आपको भी भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए। स्वस्थ फेफड़ों के लिए ये एक्सरसाइज आपके मस्तिष्क और मन को भी प्रसन्न रखने का काम करती है। भस्त्रिका प्राणायाम शरीर और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं में श्वसन प्रणाली को सीधे प्रभावित करता है।

भस्त्रिका प्राणायाम

ठंड के दिनों में शरीर को गर्म रखना है तो इस प्राणायाम को करने से लाभ मिलता है। पैर क्रॉस करके आसन ग्रहण करें और तेज गति सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। कुछ राउंड के बाद इस प्रक्रिया को धीमा कर दें और ऐसे ही समाप्त करें।

भस्त्रिका प्राणायाम में खास तौर पर श्वास लेने की प्रक्रिया की जाती है। इसमें तेज गति से सांस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। आपको बता दें कि भस्त्रिका का अर्थ धौंकनी होता है। इसका मतलब है कि जब तेज-तेज सांस लेकर छोड़ने की प्रक्रिया की जाती है तो यह लोहार के धौंकनी के जैसा एहसास कराता है। इस प्राणायाम से मन शांत रहता है। 

कैसे करते हैं भस्त्रिका प्राणायाम

  • रीढ़ की हड्डी सीधी करके आसन की मुद्रा में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथ घुटनों पर रखकर आंखें बंद करके शांत मुद्रा में बैठ जाएं।
  • दायें नाक को हाथ के अंगूठे से बंद करें और बायीं नाक से जोर से श्वास लेते हुए छाती फुलाएं।
  • अब श्वास छोड़ते समय तेजी से पेट को अंदर की तरफ करें।
  • श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया में तेज आवाज आनी चाहिए।
  • अब इसी प्रक्रिया को दूसरी नाक से दोहराएं।
  • करीब 20-20 बार इस पूरी प्रक्रिया को दोहराएं।

इस प्राणायाम को बलपूर्वक करना चाहिए। तेज गति से श्वास लेते हुए इस प्राणायाम को करना चाहिए। अगर इस प्राणायाम को करते समय आपको चक्कर आने लगे या पसीना आए या फिर कंपकंपी आने लगे तो फौरन इस प्राणायाम को तत्काल प्रभाव से छोड़ देना चाहिए। 

लाभ

  • श्वास लेने की गलत आदत में आता है सुधार
  • पाचन शक्ति में भी होता है सुधार
  • अस्थमा व खांसी में भी भस्त्रिका प्राणायाम का मिलता है लाभ
  • इसके अलावा इस प्राणायाम को करने से खून भी साफ होता है
  • ध्यान व एकाग्रता बनाने में लाभ मिलता है।