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Unknown Facts About Fashion Shows: फैशन शोज की ये 5 चीजें जो पक्का आपको नहीं होंगी पता, जानिए यहां

Updated May 21, 2022 | 18:58 IST

Facts About Fashion Shows: फैशन जगत की दुनिया जितनी चमक-दमक भरी लगती है, उतना ही रोचक इसका इतिहास भी है। शुरुआती दौर में फैशन शोज को 'फैशन परेड' कहा जाता था, वहीं पहले कॉस्ट्यूम को मॉडल्स नहीं पुतले प्रेजेंट करते थे।

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Fashion Shows Facts
मुख्य बातें
  • दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुआ फैशन शोज का विस्तार
  • मॉडल्स नहीं, पुतलों से होता था कपड़ों का प्रदर्शन
  • 19वीं सदी में हुई थी फैशन शोज की शुरुआत

Facts About Fashion Shows: आज के मॉडर्न जमाने में हर कोई फैशन और फैशन शोज के प्रति काफी जागरुक है। नए जमाने के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए फैशन और ट्रेंड के साथ चलना जरूरी होता है। नए ट्रेंड और नए फैशन को लोगों के सामने प्रदर्शित करने के लिए तमाम तरह के बड़े फैशन शोज आयोजित किए जाते हैं। इन फैशन शोज में मॉडल्स कपड़ों और एक्सेसरीज को रैंप वॉक पर प्रेजेंट करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये फैशन शोज का चलन कब शुरू हुआ और क्या है इन फैशन शोज का इतिहास, तो चलिए हम आपको बताते हैं फैशन शोज से जुड़ी कुछ अनकही बातों के बारे में-

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फैशन शोज से जुड़े फैक्ट्स

19वीं सदी में हुई थी शुरुआत
फैशन शोज की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिटिश फैशन डिजाइनर चार्ल्स फ्रेडरिक ने मॉडल्स के जरिए कपड़ों को प्रेजेंट करने की शुरुआत की।

पुतलों से होता था कपड़ों का प्रदर्शन
चार्ल्स फ्रेडरिक से पहले फैशन शोज में कपड़ों का प्रदर्शन पुतलों के जरिए किया जाता था लेकिन चार्ल्स ऐसे पहले डिजाइनर थे, जिन्होंने पहली बार इंसानों यानि कि मॉड्ल्स के जरिए अपने डिजाइन किए कपड़े प्रेजेंट किए।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुआ विस्तार
19वीं सदी के अंत में फैशन शोज का विस्तार होने लगा और लंदन-न्यूयॉर्क मे भी फैशन शोज आयोजित किए जाने लगे। बता दें कि उस वक्त फैशन शोज को फैशन परेड कहा जाता था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद फैशन का विस्तार हुआ और ये पहली बार था जब 1947 में पेरिस में क्रिश्चियन डिओर ने पतली दुबली लड़कियों को रैंप वॉक पर उतारा।

महिलाओं के साथ शो करने वाले पहले डिजाइनर थे क्रिश्चियन
दूसरे विश्व युद्ध से पहले फैशन शोज में सिर्फ पुरुष ही हिस्सा लिया करते थे। फैशन की दुनिया में महिलाओं को लाने का श्रेय क्रिश्चियन डिओर को जाता है, जो महिलाओं को नया रंग रूप देने में सफल रहे। बिना किसी भाव के रैंप वॉक करने का चलन 1960 से शुरू हुआ।

(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। क‍िसी भी तरह के ब्‍यूटी रुटीन से पहले एक्‍सपर्ट की सलाह जरूर लें।)