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Prayagraj ki kahani: प्रयागराज जाएं तो जरूर देखें ये फेमस जगहें, संगम स्‍नान कर बड़े हनुमान जी के करें दर्शन

Updated Apr 06, 2021 | 22:38 IST

प्रयागराज धार्मिक नगरी होने के साथ ऐतिहासिक शहर भी है, जहां पर अकबर द्वारा बनवाया ऐतिहासिक किला भी मौजूद है। संगम नदी के तट पर बना यह किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है।

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Prayagraj
मुख्य बातें
  • संगम किनारे स्थित है हनुमान जी का एक अनूठा मंदिर।
  • प्रयागराज में कंपनी पार्क पर उठाएं बोटिंग का लुत्फ।
  • प्रयागराज में इस स्थान पर है कभी ना मिटने वाला बरगद का वृक्ष

Prayagraj ki kahani: उत्तर प्रदेश की न्यायिक राजधानी के नाम से देश दुनिया में मशहूर कुंभ नगरी प्रयागराज, तीर्थराज के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें यह त्रिवेणी संगम गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों नदियों का मिलन स्थल है। तीनों नदियों के मिलने से यहां पर नदी का पानी तीन रंगों में प्रवाहित हो जाता है। इस नदी को लेकर मान्यता है कि यहां पर स्नान करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। यहां हर 12 वें वर्ष विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

प्रयागराज धार्मिक नगरी होने के साथ ऐतिहासिक शहर भी है, जहां पर सम्राट अशोक द्वारा बनवाया ऐतिहासिक किला भी मौजूद है। इस शहर का इतिहास सदियों पुराना है और इस शहर का वर्णन रामायण, महाभारत जैसे भारतीय धर्मग्रंथों में भी किया गया है। ऐसे में यदि आप भी उत्तर प्रदेश में घूमने की योजना बना रहे हैं तो इलाहबाद जाना ना भूलें। इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको कम खर्चे में घूमने के लिए प्रयागराज के कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों से रूबरू करवाएंगे। जिसे जानने के बाद आप इसे देखने के लिए बेताब हो उठेंगे।

संगम

प्रयागराज जंक्शन से कुछ ही दूरी पर संगम नदी स्थित है। यहां पर आप मां गंगा, यमुना और सरस्वती के आपसी मिलन को देख सकते हैं। यह अद्भुत नजारा देख आप मंत्रमुग्ध हो उठेंगे। ऐसे में यदि आप प्रयागराज घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस स्थान को अपनी सूची में शामिल करना ना भूलें। आपको बता दें इलाहबाद रेलवे स्टेशन से संगम की दूरी मात्र कुछ ही देर की है। यहां पर आप ऑटो व रिक्शे के माध्यम से मात्र 7 से 10 रूपये में पहुंच सकते हैं। रास्ते में पड़ने वाले खेत खलिहान का शानदार दृश्य वास्तव में आपको जन्नत का एहसास कराएगा।

बड़े हनुमान जी का मंदिर

धर्म की नगरी प्रयागराज में संगम किनारे शक्ति के देवता हनुमान जी का एक अनूठा मंदिर है। यह पूरी दुनिया में अनूठा मंदिर है जहां पर बजरंगबली की लेटे हुए प्रतिमा का पूजा की जाती है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य यहां पर हनुमान जी के दर्शन के बाद ही पूरा होता है। आपको बता दें प्रयागराज जंक्शन से बड़े हनुमान जी का मंदिर मात्र 12 मिनट की दूरी पर स्थित है। यहां पर आप संगम में स्नान कर हनुमान जी के दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं।

पातालपुरी मंदिर

पातालपुरी मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यहां पर मंदिर के अंदर जाने का रास्ता प्रयागराज किले के अंदर से होकर गुजरता है। यह प्राचीन मंदिर अमर वृक्ष यानि अक्षय वट के करीब बना है। अक्षय वट एक बरगद का पेड़ है जहां पर भगवान श्रीराम जी ने वनवास से लौटते समय विश्राम किया था। इस पेड़ को लेकर मान्यता है कि यह पेड़ हमेशा अमर रहेगा। यहां पर रोजोना हजारों की संख्या में लोग पातालपुरी मंदिर औऱ अक्षय वट का दर्शन करने के लिए आते हैं। आपको बता दें यह मंदिर संगम के पास ही स्थित है ऐसे में एक बार रामायण औऱ महाभारत काल के इस मंदिर का दर्शन अवश्य करें।

नास्ता व खानपान करें

संगम में स्नान कर बड़े हनुमान जी औऱ पाकालपुरी मंदिर के दर्शन के बाद आप नास्ता करने के लिए स्ट्रीट फूड का स्वाद ले सकते हैं। वास्तव में यहां पर लगी समोसे, कचौड़ी, आलू चाट के स्वाद का मजा आपको महंगे रेस्टोरेंट की में भी नहीं मिलेगा। नास्ते के बाद आप इलाहबाद के ऐतिहासिक स्थल का नजार देखने के लिए अपनी यात्रा शुरु कर सकते हैं।

आनंद भवन

जब भी नेहरू-गांधी परिवार के इतिहास का कोई जिक्र छिड़ता है तब आनंद भवन की बात जरूर निकलती है। आपको बता दें प्रयागराज में स्थित आनंद भवन अपनी चारदीवारी में एक परिवार, एक पार्टी और एक देश के संघर्ष को समेटे खड़ा है। आज इस भवन को संग्रहालय के रूप में तबदील कर दिया गया है। ऐसे में यदि आप प्रयागराज की सैर करने की योजना बना रहे हैं तो इस स्थान को अपने पर्यटन स्थल में जरूर शामिल करें। आपको बता दें इस संग्रहालय को देखने के लिए कोई भी शुल्क नहीं है।

जवाहर प्लेनेटोरियम

जवाहर भवन आनंद भवन परिसर में स्थित है। लेकिन यहां पर जाने के लिए टिकट लेना पड़ता है। प्लेटोरियम का जवाहर लाल नेहरू स्मारक फंड द्वारा 1979 में करवाया गया था। यहां पर आप ग्रहों और नक्षत्रों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

आजाद पार्क

शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से मशहूर इसे कम्पनी पार्क भी कहा जाता है। आपको बता दें यह वही पार्क है जहां पर चंद्रशेखर आजाद जी ने फिरंगियों के सामने समर्पण किए बगैर खुद को गोली मार ली थी। बता दें यह पार्क इलाहबाद का सबसे बड़ा पार्क है। इस पार्क में एक कोने पर चंद्र शेखर आजाद जी की मूर्ती लगी है और पार्क में एक छोटी सी झील भी मौजूद है। जहां पर आप बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं। यह पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण केंद्र है।

प्रयागराज किला

अपनी अनोखी बनावट, निर्माण औऱ शिल्पकारिता के लिए इलाहबाद किला पूरे विश्व में मशहूर है। अकबर द्वारा 1583 में निर्मित यह किला अपने समय के सर्वश्रेष्ठ किलों में से एक था। यह किला इलाहबाद में संगम के तट पर बना है। इस किले का उपयोग अब भारतीय सेना के कैम्प के लिए किया जाता है। किले के कुछ हिस्सों में जाने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है। आप इस किले के अधिकांश हिस्सों में अधिकारियों के इजाजत के बगैर नहीं जा सकते हैं। किले में 10.6 मीटर ऊंचा बलुआ पत्थर से निर्मित अशोक स्तंभ है। इतिहासकारों के मुताबिक इसका निर्माण 232 ईसा पूर्व में किया गया था।


 
प्रयागराज म्यूजियम

प्रयागराज म्यूजियम कम्पनी पार्क से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यहां पर आप पैदल यात्रा कर भी पहुंच सकते हैं। यह एक राष्ट्रीय संग्रहालय है। इस संग्रहालय में गांधी जी के जीवन से जुड़ी दुर्लभ वस्तुओं और तस्वीरों का भी संग्रह है। इस संग्रहालय में एक ट्रक भी रखा गया है। जिसमें गांधी जी की अस्थियों को संगम में प्रवाहित करने के लिए लाया गया था।

स्वराज भवन

स्वराज भवन आनंद भवन परिसर से बिल्कुल सटा हुआ है। यहां पर आनंद भवन वाले टिकट से सैर कर सकते हैं। जिसमें अंग्रेजों द्वारा प्रयोग की जाने वाली पुरानी बग्घियां और तस्वीरें रखी हुई हैं।