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CM भगवंत मान ने इसलिए पिया काली बेई का पानी, जानें सिखों से नाता

Updated Jul 22, 2022 | 18:09 IST

Kali Bein: काली बेईं नदीं पंजाब के होशियारपुर से निकलती है। और चार जिलों से होते हैं कपूरथला में सतलज और ब्यास नदीं के संगम पर मिल जाती है।

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सिख धर्म में काली बेई का महत्व
मुख्य बातें
  • काली बेई नदी का सिख धर्म में बेहद अहम महत्व है।
  • सिख धर्म के अनुसार उनके पहले गुरू नानक देव को इसी नदी के किनारे ज्ञान प्राप्त हुआ था।
  • साल 2000 में इसकी सफाई के लिए प्रोजेक्ट शुरू हुआ। इस कार्य में बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल की अहम भूमिका रही है।

Kali Bein:पंजाब की काली बेईं नदी एक बार फिर चर्चा में है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बीते रविवार को  प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और राज्यसभा सांसद बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल के आमंत्रण पर सुल्तानपुर लोधी पहुंचे थे। और वहां उन्होंने काली बेई का पानी पिया। और उसके एक दिन बाद उनकी तबियत बिगड़ गई और दिल्ली में इलाज के लिए भर्ती होना पड़ा। भगवंत मान को सीचेवाल ने काली बेई की सफाई की 22वीं वर्षगांठ में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था।

क्या है काली बेईं

काली बेईं पंजाब के होशियारपुर से निकलती है। और चार जिलों से होते हैं कपूरथला में सतलज और ब्यास नदीं के संगम पर मिल जाती है। इसके किनारे 80 गांव, दर्जन छोटे और बड़े शहर बसे हुए हैं। जैसा कि नाम से से स्पष्ट है कि 165 किलोमीटर की इस छोटी से नदी में का नाम उसके रंग से जुड़ा हुआ है। काले रंग का होने की वजह से इसका नाम काली बेई पड़ा है। और इसमें औद्योगिक और शहरी कचरा पड़ने की वजह से यह काफी प्रदूषित हो गई। और साल 2000 में इसकी सफाई के लिए प्रोजेक्ट शुरू हुआ। इसके सफाई कार्य में बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल की अहम भूमिका भी रही है। और उनके इस कार्य के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए.पी.जे.अब्दुल कलाम भी प्रशंसा कर चुके हैं।

सिख धर्म से क्या है नाता

काली बेई नदी का सिख धर्म में बेहद अहम महत्व है। सिख धर्म के अनुसार उनके पहले गुरू नानक देव को इसी नदी के किनारे ज्ञान प्राप्त हुआ था। उन्हें यह ज्ञान सुल्तानपुर लोदी में प्राप्त हुआ था। ऐसी मान्यता है कि एक दिन जब गुरू नानक देव नदी में नहाने गए में और फिर तीसरे दिन नदी से बाहर निकले और उसके बाद उन्होंने सबसे मूल मंत्र पढ़ा।