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'योग' के प्रयोग से कोरोना को दें मात, ऐसे बढ़ेगी इम्यूनिटी, देखें [PHOTOS]

Updated Jun 08, 2021 | 17:19 IST

yoga asanas for immune system : देश,दुनिया के कई हिस्से कोरोना महामारी की चपेट में है। कोरोना से बचाव के लिए इम्यूनिटी जरूरी है। इस लेख में रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के योग आसनों की जानकारी दी गई है।

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रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए योगासन।
मुख्य बातें
  • योग के अभ्यास से इम्युनिटी को आसानी से बढ़ाया जा सकता है
  • योग के कई आसान आपके शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं
  • योगासन से इन्फेक्‍शन और वायरस वाले रोगों से लड़ने हेतु तैयार रखा जा सकता है

नई दिल्ली:  आजकल सम्पूर्ण विश्‍व कोरोना जैसी भीषण महामारी का सामना कर रहा है। इस समय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत रहना अत्यंत जरूरी है क्‍योंकि यह जितनी ज्यादा मजबूत होगी शरीर को संक्रमित रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है।  

योग के अभ्यास से इम्यूनिटी को आसानी से बढ़ाया जा सकता है और इन्फेक्‍शन और वायरस वाले रोगों से लड़ने हेतु तैयार रखा जा सकता है। ऐसे बहुत से आसन, योगासन है जिनसे हम रोग प्रतिरोधक क्षमता को बड़ा सकते है।

भुजंगासनः

भुजंगाासन पेट के बल लेटकर किया जाने वाला आसन है। इस आसन के अभ्यास से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। जिससे श्वसन प्रणाली में सुधार होता है साथ ही यह आसन हमारे पाचन तंत्र को भी दुररूस्त करता है। जिससे हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है।

पश्चिमोत्तासन:  

यह आसन हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक लाभदायक है। इस आसन के अभ्यास से रक्त संचार बढ़ता है तथा स्पाइन में लचीलापन होता है साथ ही यह आसन मस्तिष्क के विकारों को दूर करता है और मानसिक तनाव को कम करता है। इस आसन के अभ्यास से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है।

उष्ट्रासनः

यह आसन बैठकर किया जाने वाला आसन है। इस आसन के अभ्यास से हमारे हृदय, फेफड़ों और आंतों की क्षमता बढ़ती है। साथ ही साथ शारीरिक और मानसिक शक्ति का विकास होता है। जिससे हाइपरटेंशन की शिकायत भी दूर होती है। यह आसन आपके आंतरिक ऑर्गंस में खिचाव उत्पन्न करता है। जिससे रक्त संबंधी अशुद्धियां  होती है और इम्युनिटी क्षमता बढ़ती है।

उत्कटासनः

उत्कटासन खड़े होकर किया जाने वाला अभ्यास है। इस आसन के अभ्यास से हमारे शरीर में शक्ति बढ़ती है। यह हमारी मांसपेशियों को सुदृढ़ बनाता है जिसके कारण शारीरिक संतुलन बढ़ता है। साथ ही साथ यह आसन मानसिक एकाग्रता को बढ़ाता है। मानसिक एकाग्रता से हमारे शरीर की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से कार्य करती है। जिससे सम्पूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता  का विकास होता है।

ताड़ासन:

ताड़ासन का अभ्यास खड़े होकर किया जाता है। यह आसन हमारी पाचन क्षमता को बढ़ाता है जिससे हमारी इम्युनिटी क्षमता विकसित होती है। साथ ही साथ मानसिक तनाव को कम करने में भी यह आसन विशेष लाभदायक है।

अब हम कुछ प्राणयाम अभ्यास के बारे में बताने जा रहे है। जो आपकी इम्युनिटी क्षमता को बढ़ाते है तथा मानसिक तनाव, हाइपरटेंशन, मानसिक दुर्बलता को कम करते है और शारीरिक संतुलन को बढ़ाते है। 

कपालभांतिः- कपालभांति प्राणायाम हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए अत्यंत जरूरी है। इस प्राणायाम के अभ्यास से शारीरिक और मानसिक सभी विकार दूर होते है। ऐसा कहा जाता है कि सौ बिमारियों को अकेले यह प्राणायाम ठीक कर सकता है। 
कपाल का अर्थ होता है मस्तिष्क या सिर और भांति का अर्थ होता है सफाई।

अर्थात हमारे मस्तिष्क की सभी अशुद्धियों की सफाई करना इसके अभ्यास से मस्तिष्क की सफाई की जाती है तथा अपने फेफड़ों की क्षमता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।

कपालभांति करने की विधिः- 

  1. आराम से वज्रासन में या सुखासन में रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर बैंठे।
  2. दोनों नासिका छिद्र से लम्बी, गहरी सांस लें।
  3. पेट को अंदर की तरफ ले जाते हुए तेजी से दोनों नासिका छिद्रों से सांस बाहर निकाले।
  4. इस चक्र को शुरूआत में 20 से 25 बार दोहराये, फिर अपनी श्वास को समान्य स्थिति में आने दें।

लाभः- यह फेफड़ों और श्वसन प्रणाली की क्षमता बढ़ाता है तथा रक्त परिसंचरण को सुचारू करता है साथ ही रक्त शुध्दि करता है। इसके अलावा पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है। जिससे सिरदर्द तथा एंक्जाइटी कम होती है और मानसिक तनाव समाप्त होता है। 

विशेष नोटः- गर्भवती महिलांए, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगी इसका अभ्यास न करें।

अनुलोम-विलोम प्राणायामः

अनुलोम-विलोम प्राणायाम हमारे शरीर की सभी नाड़ियों की शुध्दि करता है तथा शरीर में ऑक्‍सीजन लेवल को बढ़ाता है। शरीर में ऑक्‍सीजन लेवल बढ़ने से इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है। जिससे वायरस और इन्‍फेक्‍शन जैसे संक्रमित रोगो से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है। यह प्राणायाम हाइपरटेंशन की समस्या को भी दूर करता है। क्योंकि किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है। अतः यदि इस प्राणायाम का अभ्यास किया जाए तो मानसिक तनाव कम होता है, जिससे मस्तिष्क स्वस्थ्य रहता है। हृदय रोगियों और उच्च रक्तचाप में यह प्राणायाम लाभदायक है।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम की विधिः- 

  1. किसी भी सुविधाजनक स्थिति में रीढ़ की हड्डी को सीधी करके बैठें।
  2. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दांई नासिका को बंद करे और बांई नासिका से लम्बी सांस लें।
  3. अब अनामिका ऊंगली से बांई नासिका को बंद करें तथा दांई नासिका से सांस बाहर निकाले।
  4. इसके बाद दांई नासिका से श्वास लेकर बांई नासिका से निकाले। यह क्रिया 10 से 15 मिनट करें।

भ्रामरी प्राणायामः

यह प्राणायाम बहुत अधिक लाभदायक है। विशेषकर इम्युनिटी क्षमता को विकसित करने में महत्‍वपूर्ण है। यह प्राणायाम मस्तिष्क और शरीर के आपसी संतुलन को बढ़ाता है। जिससे शरीर के आंतरिक ऑर्गन्स की कार्यक्षमता बढ़ती है और हाइपरटेंशन, मानसिक तनाव अनिंद्रा आदि समस्याएं दूर होती है। 

भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि:- 

  1. पद्मासन या वज्रासन में सीधे बैठें।
  2. दोनों हाथों की अंगुलियों को आंख के ऊपर रखे और अंगूठे से कान बंद कर लें।
  3. अब लम्बी श्वास लेकर, मुंह बंद रखते हुए भंवरे की भांति ऊँ का उच्चारण करें और कंपन मस्तिष्क में उत्पन्न हो उसे महसूस करें। 

भस्त्रिका प्राणायामः- भस्त्रिका प्राणायाम, कपालभांति और सूर्यभेदन दो प्राणायाम से मिलकर बना है। इस प्राणायाम के अभ्यास से पाचन-तंत्र दुरूस्त होता है। फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। जहां सामान्यतः हम 700 से 759 एमएल ऑक्‍सीजन ग्रहण करते है। सांस लेते हुए भस्त्रिका प्राणायाम के अभ्यास से हमारी ऑक्‍सीजन लेने की क्षमता 4 से 5 लीटर हो जाती है जो कि कोरोना जैसी महामारी में वरदान है।  

भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधिः-

  1. रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर पद्मासन या वज्रासन में बैठें।
  2. दोनों नासिका छिद्रों से गहरी सांस लें और फिर पेट को अंदर करते हुए सांस बाहर छोड़े। इस प्रकार पेट अंदर-बाहर करते हुए 20 से 25 बार सांस तेजी से लें और छोड़े।
  3. इसके बाद बांई नासिका बंद करके, दांई से सांस लें और फिर बांई नासिका से बाहर निकाले। 
  4. यह क्रिया 8 से 10  बार दोहराएं।

योगनिद्राः

अंत में योगनिद्रा का अभ्यास करें। फिर पीठ के बल आंखे बंद करके लेट जाएं और शरीर को ढीला छोड़कर सांस पर ध्यान लगाकर विश्राम करें

(लेखक विजय शंकर त्रिपाठी,  मध्‍य प्रदेश के योग खेल संघ के अध्‍यक्ष और योगशाला योग स्‍टूडियो के निदेशक हैं।)

डिस्क्लेमर: विजय त्रिपाठी अतिथि लेखक है और ये इनके निजी विचार हैं। टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।