हिमाचल प्रदेश प्रकृति के सर्वोत्तम गुणों से समृद्ध है, इसे हिल स्टेशन की रानी और देवभूमि भी कहा जाता है। यहां की जलवायु में ऐसा नशा व जादू है कि, जो एक बार यहां आता है वो इस जगह का दीवाना हो जाता है। साथ ही यहां की खूबसूरत झीलें प्रकृति की सौंदर्य में चार चांद लगाती हैं।
लाहौल स्पीति जिले में स्थित चंद्रताल झील हिमाचल प्रदेश के सबसे आकर्षक झील में से एक है। समुद्रतल से 4200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील अर्धचांद के आकार में है, इसलिए इसे चंद्रतला झील के नाम से भी जाना जाता है। इस झील के अंदर पानी बिल्कुल शीशे की तरह चमकता है, इसे परियों की झील भी कहा जाता है। इस झील का शानदार दृश्य ऐसा लगता है कि मानों आसमान खुद जमीन पर उतर आया हो।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित पराशर झील प्रकृति की सुंदरता को समेटे हुए है। प्रकृति की सुंदरता को लफ्जों में बयां करते इस झील को देखकर आपका मन रोमांचित हो उठेगा। समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह झील पर्यटकों के लिए जन्नत से कम नहीं है। झील के चारो तरफ हरभरे घास के मैदान हैं और पास में चौदहवीं शताब्दी में बना पराशर ऋषि का अद्भुत मंदिर है। इस झील का सबसे बड़ा रहस्य एक छोटा सा द्वीप है, जिसे स्थानीय भाषा में टहला कहा जाता है।
मणिमहेश झील का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। हिमाचल प्रदेश में स्थित इस पवित्र झील को लेकर कहा जाता है कि मणिमहेश कैलाश पर भगवान शिव ने सदियों तक तपस्या की थी। झील के चारो ओर बर्फ की चोटियां इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं। वहीं इस झील को लेकर एक अद्भुत रहस्य मौजूद है, कहा जाता है कि इस झील का पानी अष्टमी के दिन अचानक बढ़ जाता है। पानी इतना बढ़ जाता है कि झील के बाहर आने लगता है।
भृगु झील हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत झीलों में से एक है, इस झील का नाम भृगु ऋषि के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि उन्होंने इस झील के किनारे बैठकर वर्षों तक तप किया था। सुमुद्रतल से 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस झील की प्राकृतिक सुंदरता यहां आने वाले पर्यटकों का मनमोह लेती है। यदि आप ट्रैकिंग और रिवर राफ्टिंग के शौकीन हैं तो यहां इसका पूरा लुत्फ उठा सकते हैं। हालांकि यहां तक पहुंचने के लिए आपको लंबी पैदल यात्रा करना होगा, लेकिन बर्फीली पहाड़ियों पर पैदल यात्रा करना आपके लिए रोमांच से भरपूर होगा।
हिमाचल प्रदेश के नाको गांव में स्थित नाको झील प्रकृति की सौंदर्यता को समेटे हुए है। समुद्रतल से 3661 मीटर की ऊंचाई पर भारत चीन सीमा में स्थित नाको झील प्रकृति की अद्भुत सुंदरता को पेश करता है। साथ ही इस झील से जुड़े कई रहस्य हैं। कहा जाता है कि ये झील प्राकृतिक है और इसका निर्माण हजारों वर्षों पहले हुआ था।
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित चमेरा झील डलहौजी से 25 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्रतल से करीब 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यदि आप वॉटर स्पोर्ट्स के शौकीन हैं तो चमेरा झील पर इसका लुत्फ उठा सकते हैं। बता दें यह बोटिंग और फिशिंग के लिए काफी मशहूर है। साथ ही आप यहां ट्रैकिंग और राइडिंग का भी मजा ले सकते हैं।
हिमाचल के सिरमौर जिले में स्थित रेणुका झील का नाम भगवान परशुराम की मां रेणुका के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि आज भी यहां भगवान परशुराम की मां वास करती हैं। मान्यता है कि रेणुका वही जगह है जहां श्रीहरि भगवान विष्णु के छठे स्वरूप परशुराम का जन्म हुआ था। यहां पास में मां रेणुका का मंदिर भी है।