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Lucknow Jail: जल्द विदा होगा ब्रिटिश जमाने का जेल मैन्युअल, जेल मुख्यालय ने शासन को भेजा प्रस्ताव

Updated Jun 19, 2022 | 22:23 IST

Lucknow Jail Manual: जेलों में लागू अंग्रेजों के जमाने के पुराने कानून में जल्द बदलाव होगा। नए मैनुअल में कई सुविधाएं देना शामिल किया गया है।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
प्रतीकात्मक तस्वीर
मुख्य बातें
  • जेलों में अंग्रेजों के जमाने के जेल मैनुअल में बदलाव की तैयारी
  • ब्रिटिश जमाने का जेल मैन्युअल अब जल्द ही निष्प्रभावी होगा
  • संशोधित जेल मैन्युअल 2021 का प्रस्ताव शासन को भेजा

Lucknow Jail Manual: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश की सभी जेलों में अंग्रेजों के जमाने के जेल मैनुअल में बदलाव की तैयारी की जा रही है। नए मैनुअल में कई सुविधाओं को शामिल किया गया है। दरअसल, ब्रिटिश जमाने का जेल मैन्युअल अब जल्द ही निष्प्रभावी हो जाएगा। जेल मुख्यालय ने संशोधित जेल मैन्युअल 2021 का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। मंत्री परिषद के अनुमोदन के बाद यह लागू हो जाएगा। इससे जेल मैन्युअल के अव्यवहारिक हो चुके कई प्रावधान समाप्त हो जाएंगे। यह जानकारी डीआईजी जेल (मुख्यालय) एसके मैत्रेय की ओर से विशेष सचिव मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में दी गई है। 

यह पत्र समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) में जन सुनवाई के माध्यम से प्राप्त मुख्यमंत्री संदर्भ का जवाब देते हुए भेजा गया है, जो उत्तर प्रदेश जेल मैन्युअल के कतिपय प्रावधानों में तत्काल बदलाव किए जाने की मांग से संबंधित है। 

संशोधित जेल मैन्युअल 2021 का प्रस्ताव तैयार किया गया 

पत्र में बताया गया है कि, केंद्र सरकार की अपेक्षा के अनुसार जेल मैन्युअल में संशोधन के लिए मॉडल प्रिजन मैन्युअल 2003 और 2016 के साथ उत्तर प्रदेश जेल सुधार समिति 1946, अखिल भारतीय जेल सुधार समिति 1980-83 तथा कपूर कमेटी 1987 के साथ सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का सहारा लिया गया है। इन सभी दिशा-निर्देशों को समाहित करते हुए संशोधित जेल मैन्युअल 2021 का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

जेल मैन्युअल के कई प्रावधान भारतीय संविधान और दांडिक विधि के खिलाफ 

बदलाव की मांग से संबंधित पत्र में कहा गया है कि, मौजूदा जेल मैन्युअल के कई प्रावधान भारतीय संविधान और दांडिक विधि के खिलाफ हैं। प्रस्तर 168 में सजायाफ्ता फौजियों को यूनाइटेड किंगडम भेजे जाने की बात की गई है। इसी तरह इसमें ब्रिटिश कब्ज़ा, भारत मंत्री तथा ‘हिज मैजेस्टी आर्डर’ जैसे शब्दों तक का प्रयोग भी है। कई प्रस्तर में मद्रास सरकार, कलकत्ता प्रेसीडेंसी व बॉम्बे सरकार जैसे शब्दों का प्रयोग है जो अब अस्तित्व में नहीं हैं। 
 

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