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Lucknow: OMG! लखनऊ में इस चीज की हो रही थी बड़ी तस्करी, देखकर एसटीएफ भी हो गई हैरान, हांगकांग होनी थी सप्लाई

Updated Aug 08, 2022 | 19:54 IST

Lucknow News: लखनऊ के रास्ते  होकर कछुए हांगकांग, चीन और मलेशिया भेजे जाते हैं। पूछताछ में पाता चला कि लखीमपुर, बहराइच, गोंडा जैसे जिलों से इन कछुओं को पकड़ते है। इसके बाद बांग्लादेश बॉर्डर पार करके इन कछुओं को म्यंमार के रास्ते चीन, हांगकांग, मलेशिया सहित कई देशों में बेचा जाता है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
एसटीएफ पकड़े कछुआ तस्कर
मुख्य बातें
  • एसटीएफ ने कानपुर हाईवे पर एक तस्कर को 295 कछुओं के साथ दबोचा
  • बांग्लादेश सीमा से इन कछुओं को बाहर भेजने की थी तैयारी
  • दवा बनाने के लिए इनकी तस्करी सबसे बड़े पैमाने की जा रहा है

Lucknow News: लखनऊ में एसटीएफ ने कानपुर हाईवे के बंथरा क्षेत्र के हनुमान मंदिर तिराहे पर एक तस्कर को 295 कछुओं के साथ दबोच लिया। इस दौरान पूछताछ में सामने आया कि, ये कछुए लखनऊ के रास्ते  होकर हांगकांग, चीन और मलेशिया भेजे जाते हैं। इन कछुओं को विभिन्न जिलों से पकड़कर लाया गया है। जिसके बाद बांग्लादेश सीमा से इन कछुओं को बाहर भेजने की तैयारी थी।

बरामद किए गए कछुए काफी दुर्लभ प्रजाति के है। इसकी प्रजाति इंडियन रूफेड प्रजाति है। ये कछुए बहुत ही कम क्षेत्रों में ही पाए जाते है। इनका प्रयोग मुख्य रुप से शक्तिवर्धक दवाओं को बनाने में किया जाता है।

कई देशों में होती है कछुओं की सप्लाई

वहीं डिप्टी एसपी एसटीएफ दीपक सिंह के अनुसार, यह कार्रवाई वाइल्ड क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की टीम के साथ की गई है। कानपुर हाईवे रोड पर बंथरा से उन्नाव निवासी वसीम को एसटीएफ टीम ने गिरफ्तार किया है। उसके पास से संरक्षित प्रजाति के कुल 295 जिंदा कछुए बरामद किए गए हैं। पूछताछ के दौरान आरोपी ने कहा कि, वह इन कछुओं को लखीमपुर, बहराइच, गोंडा जैसे जिलों से पकड़कर एकत्रित करता है। ये कछुए यमुना, चंबल, गंगा, गोमती, घाघरा व गंडक नदी में पाए जाते हैं। इन्हें पकड़ने के बाद ट्रेन से पश्चिम बंगाल ले जाता है। वहां से बांग्लादेश का बॉर्डर पार करके इन कछुओं को म्यंमार के रास्ते चीन, हांगकांग और मलेशिया समेत कई अन्य देशों में बेचा जाता है।

दवा बनाने के लिए होता है प्रयोग 

डिप्टी एसपी दीपक सिंह के अनुसार, भारत में कछुओं की कुल 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियां उत्तर प्रदेश में पाई जाती हैं। इनमें से 11 प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। जैसे जीवित कछुओं के मांस या उन्हें पालने के लिए तस्करी होती है। लेकिन कछुओं की झिल्ली को सुखाकर शक्तिवर्धक दवा बनाने के लिए इनकी तस्करी सबसे बड़े पैमाने की जा रहा है।

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