लाइव टीवी

बीएसपी विधायकों पर सपा ने डाले डोरे, क्या कमजोर पड़ चुकी है मायावती की पकड़

Mayawati, Akhilesh Yadav, BSP split, BSP rebel MLAs, Samajwadi Party, UP assembly elections 2022
Updated Jun 16, 2021 | 13:17 IST

यूपी में दलित समाज की आवाज का मतलब लोग बहुजन समाज पार्टी मानते हैं। लेकिन क्या मायावती अब अपनी पार्टी को सहेज पाने में नाकाम साबित हो रही हैं और इसका फायदा समाजवादी पार्टी को मिल सकता है, यह बड़ा सवाल है।

Loading ...
Mayawati, Akhilesh Yadav, BSP split, BSP rebel MLAs, Samajwadi Party, UP assembly elections 2022Mayawati, Akhilesh Yadav, BSP split, BSP rebel MLAs, Samajwadi Party, UP assembly elections 2022
बीएसपी के बागी विधायकों के समाजवादी पार्टी में जाने की खबर के बीच मायावती का खास बयान
मुख्य बातें
  • मायावती अपने दो कद्दावर चेहरों राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं
  • बीएसपी के 9 विधायक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले थे
  • पश्चिम उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर, बीएसपी को दे रहे हैं चुनौती

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अभी 6 महीने से ज्यादा का वक्त है। लेकिन उससे पहले राजनीतिक दल सियासी पिच पर बैटिंग करने के लिए उतर चुके हैं। जहां एक तरफ बीजेपी के अंदर सबकुछ ठीक और सबकुछ ठीक नहीं होने की बात है तो बीएसपी में भी सब ठीक नहीं है। बीएसपी के 9 बागी विधायकों ने मंगलवार को एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की और ऐसा माना जा रहा है कि वो समाजवादी पार्टी के हिस्सा बन सकते हैं। यहां बता दें कि बीएसपी ने अपने दो कद्दावर चेहरों राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लेकिन बीएसपी के बागी दलबदल कानून के दायरे में आने से बचने के लिए उचित मौके की तलाश कर रहे हैं। इन सबके बीच मायावती ने क्या कुछ कहा उसे जानना जरूरी है।

मायावती के खास बयान

  1. घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं घोर छलावा।
  2. जबकि उन्हें काफी पहले ही सपा व एक उद्योगपति से मिलीभगत के कारण राज्यसभा के चुनाव में एक दलित के बेटे को हराने के आराप में बीएसपी से निलम्बित किया जा चुका है।
  3. सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती। क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं।
  4. जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं। इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय।

क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि अगर बीएसपी के विधायक समाजवादी पार्टी के हिस्सा बनते हैं तो उसकी वजह से मायावती को किस तरह से नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस विषय में जानकार कहते हैं कि अगर बात आप राम अचल राजभर या लालजी वर्मा की करें तो उनके जाने से बीएसपी को किसी तरह का खास नुकसान नहीं है क्योंकि इन दोनों शख्सियतों की छवि अब कोई बहुत अच्छी नहीं है। लेकिन इनके अलावा जो शेष 9 विधायक हैं उनमें से कई मुस्लिम समाज से आते हैं। बीएसपी की जीत में दलित समाज, मुस्लिम समाज का खास योगदान रहा करता था। ऐसे में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

इसके अलावा जिस तरह से पश्चिम उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर का उभार हो रहा है उसकी वजह से सबसे ज्यादा नुकसान बीएसपी को उठाना पड़ सकता है। अगर चंद्रशेखर किसी तरह से सपा से समझौता करने में कामयाब होते हैं तो निश्चित तौर पर मायावती को सियासी नुकसान उठाना पड़ेगा। 

Lucknow News in Hindi (लखनऊ समाचार), Times now के हिंदी न्यूज़ वेबसाइट -Times Now Navbharat पर। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें।