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Arnab Goswami: सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अग्रिम जमानत के लिए सेशन कोर्ट पहुंचे अर्नब गोस्वामी

Updated Nov 12, 2020 | 08:12 IST

गोस्वामी के वकील श्याम कल्याणकर ने यह अर्जी इस सप्ताह के शुरुआत में कोर्ट में दायर की। वकील ने बताया कि इस अर्जी पर बुधवार को सुनवाई होनी थी लेकिन हम लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अग्रिम जमानत के लिए सेशन कोर्ट पहुंचे अर्नब गोस्वामी।
मुख्य बातें
  • गिरफ्तारी से बचने के लिए अर्नब ने खटखटाया सेशन कोर्ट का दरवाजा
  • सुसाइड केस में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने टीवी पत्रकार को दी राहत
  • 2018 के एक सुसाइड केस में 4 नवंबर को पुलिस ने किया गिरफ्तार

मुंबई : सुसाइड केस में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद रिपब्लिक टीवी के प्रमोटर एवं वरिष्ठ टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने अब सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। अदालत में गोस्वामी की तरफ से इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका लगाई गई है। बता दें कि एनएम जोशी मार्ग पुलिस ने चार नवंबर को गिरफ्तारी के दौरान टीवी पत्रकार द्वारा विरोध किए जाने के मामले में एक केस दायर किया है। अर्जी में गोस्वामी के वकील ने दलील दी है कि एनएम जोशी मार्ग पुलिस ने जिस आधार पर गोस्वामी की गिरफ्तारी की वह गैर-कानूनी है। 

गोस्वामी के वकील श्याम कल्याणकर ने यह अर्जी इस सप्ताह के शुरुआत में कोर्ट में दायर की। वकील ने बताया कि इस अर्जी पर बुधवार को सुनवाई होनी थी लेकिन हम लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे। दलील में कहा गया है कि अर्नब की चार नवंबर को हुई गिरफ्तारी गैर-कानूनी है और उन्हें अग्रिम जमानत देते हुए इस बात को अब सुप्रीम कोर्ट भी सही ठहरा चुका है। 

'मिरर नाउ' से बातचीत में गोस्वामी के वकील ने कहा कि पुलिस और पत्रकार के परिवार दोनों ने गिरफ्तारी की घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया है। उन्होंने कहा, 'चूंकि यह गिरफ्तारी अपने आप में अवैधानिक है ऐसे में हमें विरोध करने का पूरा अधिकार है।'

सुप्रीम कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी
बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिलने पर पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की भूमिका पर तल्ख टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा, 'अगर हम न्यायालय के रूप में कानून और स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो आखिर कौन करेगा।' जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि कोई राज्य किसी शख्स के साथ गैरकानूनी ढंग से व्यवहार करेगी तो सख्त संदेश जाना ही चाहिए। हमारा लोकतंत्र इसी भावना के लिए जाना जाता है जिसमें हर किसी का भरोसा है।  

2018 का है खुदकुशी का मामला
बता दें कि मई 2018 में अलीबाग के अपने बंगले में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां ने खुदकुशी कर ली। नाइक ने अपने सुसाइड नोट में गोस्वामी को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया। पुलिस का कहना है कि गोस्वामी के चैनल और दो कंपनियों ने नाइक को उनकी सेवाओं के लिए भुगतान नहीं किया था जिससे तंग आकर दोनों ने आत्महत्या कर ली। हालांकि, अर्नब गोस्वामी की तरफ से अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया गया है। अर्नब के वकील का कहना है कि उसने नाइक के बकाए राशि का भुगतान के लिए चेक भेजा था लेकिन उनका खाता बंद होने की वजह से चेक वापस आ गया।

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