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Maharashtra : 26/11 के हीरो तुकाराम ओंबले को समर्पित मकड़ी की नई प्रजाति आइसियस का नाम 

Updated Jun 28, 2021 | 08:50 IST

Maharashtra : महाराष्ट्र में मकड़ी की एक प्रजाति का नाम मुंबई हमले के नायक तुकाराम ओंबले के नाम पर रखा गया है। शोघकर्ताओं की एक टीम की ओर से प्रकाशित एक पेपर में आइसियस तुकारामी का पहली बार जिक्र किया गया है।

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तुकाराम ओंबले के नाम पर रखा गया मकड़ी की नई प्रजाति का नाम।
मुख्य बातें
  • महाराष्ट्र में शोधकर्ताओं ने मकड़ी की दो नई प्रजातियां खोजी हैं
  • एक मकड़ी का नाम मुंबई हमले के हीरो तुकाराम के नाम पर रखा
  • आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में तुकाराम ने मदद की थी

मुंबई : मुंबई (26/11) आतंकवादी हमले के दौरान आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में मदद करने वाले असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर तुकाराम ओंबले के नाम पर मकड़ी की एक नई प्रजाति का नाम आइसियस तुकारामी रखा गया है। शोघकर्ताओं की एक टीम की ओर से प्रकाशित एक पेपर में आइसियस तुकारामी का पहली बार जिक्र किया गया है। इस पेपर का उद्देश्य महाराष्ट्र में पाई गईं मकड़ी को दो नई प्रजातियों-जेनेरा फिंटेला एवं आइसियस के बारे में जानकारी देना है। 

26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के नायक हैं तुकाराम ओंबले
शोधकर्ताओं ने अपने पेपर में कहा है, 'मकड़ी की यह विशेष प्रजाति 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के नायक एएसआई तुकाराम ओंबले को समर्पित है। ओंबले को 23 गोलियां लगी थीं। उन्होंने हमले में शामिल आतंकवादी को पकड़ा था।' 26/11 की रात सीएसटी रेलवे स्टेशन पर हमला करने के बाद अजमल कसाब एवं उसके साथी इस्माइल खान ने कामा अस्पताल पर हमला किया था। दोनों आतंकवादी अस्पताल के पिछले गेट पर पहुंचे थे लेकिन यहां मौजूद कर्मियों ने अंदर से सभी दरवाजों को बंद कर दिया था। इसके बाद अजमल ने अस्पताल के बाहर पुलिस टीम पर घात लगाया। यहां हुई मुठभेड़ में छह पुलिसकर्मियों की जान गई। जान गंवाने वालों में एटीएस के चीफ हमेंत करकरे भी शामिल थे। 

तुकाराम ने सीने पर खाईं गोलियां
अस्पताल पर हमला करने के बाद अजमल और उसका साथी फरार हो गए। बाद में इन्हें गिरगांव चौपाटी पर देखा गया। यहां तुकाराम ओंबले ने दोनों को ललकारा। तुकाराम की दिलेरी से आंतकवादी कसाब जिंदा पकड़ा गया। तुकाराम कसाब के सामने सीना तानकर खड़े हो गए। उन्होंने अन्य पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए कसाब के सामने दीवार की तरह खड़े हो गए। ओंबले को उनकी वीरता के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।  

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