- मुंबई में 11 जुलाई, 2006 को लोकल ट्रेनों में सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए थे
- इसके लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा जिम्मेदार था
- ये विस्फोट उस वक्त हुए थे, जब ट्रेनों में भीड़ थी और लोग अपने घरों को लौट रहे थे
मुंबई : वह 11 जुलाई की शाम थी, जब दफ्तरों में काम खत्म कर लोगों को बेसब्री से इंतजार था अपने घर पहुंचने का। ऑफिस से भाग-भागकर वे जल्दी-जल्दी मुंबई के विभिन्न स्टेशनों पर पहुंचे, ताकि घर पहुंचने के लिए लोकल ट्रेन ले सकें। इनमें से सैकड़ों यात्रियों को शायद ही मालूम था कि दफ्तर से घर तक का उनका यह सफर कभी न खत्म होने वाला है और वे अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही आंतक की भेंट चढ़ जाएंगे।
11 मिनट के अंतराल पर 7 धमाके
यह 2006 का साल था, जब मुंबई की 'लाइफलाइन' कही जाने वाली लोकल ट्रेनों से लोग अपने घरों की तरफ लौट रहे थे। ट्रेनों में भीड़ थी। दिनभर काम कर दफ्तर से निकले लोगों के चेहरे पर थकान थी तो यह घर लौटने की मुस्कान भी समेटे था। लेकिन तभी एक के बाद एक सात सिलसिलेवार विस्फोटों ने सारा मंजर ही बदल दिया। माटुंगा से मीरा रोड के बीच करीब 11 मिनट के अंतराल पर हुए सात विस्फोटों ने लोगों को सकते में ला दिया।
मुंबई और ठाणे जिलों के बीच 11 जुलाई, 2006 को हुए ये सिलेसिलेवार सात बम विस्फोट माटुंगा रोड, माहिम, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, बोरीवली और मीरा रोड स्टेशन पर हुए थे, जिनमें 189 की लोगों की जान गई थी, जबकि 800 से अधिक घायल हुए थे। पहला धमाका शाम 4:35 बजे के आसपास हुआ, जिसके बाद अगले 11 मिनट में एक-एक कर ऐसे सात और धमाके हुए।
PAK आतंकियों ने रची थी साजिश
भारत में हुई अन्य आतंकी वारदातों की तरह ही इसके पीछे भी पाकिस्तान और वहां सक्रिय आतंकियों का हाथ होने की बात सामने आई। जांच में खुलासा हुआ कि इन सिलसिलेवार बम विस्फोटों की साजिश पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने रची थी। आजम चीमा इसके मुख्य साजिशकर्ताओं में था। उसने जिहाद के नाम पर युवकों को बरगलाया और उन्हें मुंबई में आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए भेजा।
मुंबई में हुआ यह आतंकी हमला 7/11 विस्फोटों के तौर पर भी जाना जाता है, जिसके लिए आतंकियों ने प्रेशर कुकर बम का इस्तेमाल किया था। ये बम आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल और कीलों से बनाए थे, जिन्हें सात प्रेशर कुकर में रखकर टाइमर के जरिये उड़ाया गया था। धमाकों के बाद मलबे से प्रेशर कुकर के हैंडल मिले थे, जो मामले की जांच में अहम साबित हुआ और फिर एक के बाद एक सारी कड़ियां जुड़ती चली गईं।
महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) की विशेष अदालत ने सितंबर 2015 में इस मामले में 12 लोगों को सजा सुनाई थी।