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शिवसेना के मुखपत्र सामना ने कांग्रेस को बताया जर्जर इमारत, क्या यह सिर्फ सियासी निशाना या मनमुटाव

Updated Dec 14, 2021 | 11:26 IST

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कांग्रेस को जर्जर इमारत बताया है। लेकिन सवाल यह है कि ममता बनर्जी के मुद्दे पर कांग्रेस का खुलकर साथ देने वाली शिवसेना ने ऐसा क्यों कहा।

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शिवसेना के मुखपत्र सामना ने कांग्रेस को बताया जर्जर इमारत, क्या यह सिर्फ सियासी निशाना या मनमुटाव
मुख्य बातें
  • शिवसेना और कांग्रेस में मनुमटाव की खबरें आती रही हैं।
  • 28 दिसंबर को राहुल गांधी की रैली को मुंबई पुलिस ने इजाजत नहीं दी है।
  • मुंबई पुलिस के खिलाफ अदालत का दरवाजा कांग्रेस ने खटखटाया है

क्या महाविकास अघाड़ी सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है। दरअसल यह सवाल पहली बार नहीं उठा है, समय समय पर इस बात की चर्चा होती रही है कि महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस अपने आपको अलग थलग महसूस करती है। लेकिन बीजेपी के खिलाफ उसे आवाज बुलंद रखना है लिहाजा उद्धव ठाकरे सरकार में बने रहना मजबूरी है। सामना ने जब कांग्रेस को जर्जर इमारत बताया तो विवाद और खटास दोनों बढ़ गया। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस अपने ही सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट गई है। 

28 दिसंबर की रैली को लेकर पेंच
दरअसल कांग्रेस 28 दिसंबर को शिवाजी पार्क में रैली करना चाहती थी। लेकिन मुंबई पुलिस की तरफ से इजाजत नहीं मिली। इजाजत नहीं मिलने पर कांग्रेस ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मुद्दे पर जब सियासत तेज हुई तो एनसीपी की तरफ से नवाब मलिक ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि शिवाजी पार्क में रैली के लिए कुछ नियम बने हुए हैं। इस बात को हर किसी को समझना चाहिए। जहां तक कांग्रेस की बात है तो हम सब विपक्ष में नहीं बल्कि सरकार में हैं और नियम कायदों को समझना पड़ेगा। हां, अगर हाईकोर्ट की तरफ से रैली की इजाजत मिलती है तो किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती। 

क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि अगर आप देखें तो महाविकास अघाड़ी बेमेल गठबंधन है। इस गठबंधन में शामिल होने वाले दलों की अपनी अपनी मजबूरी थी। आप स्वाभाविक गठबंधन नहीं कह सकते हैं। राजनीति के मैदान में सभी दलों को अपने प्रभाव बढ़ाने का अधिकार है और जब उस हिसाब से राजनीतिक दल सोचते हैं तो इस तरह के बयानों का आना स्वाभाविक है। महाराष्ट्र में एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस की मिलीजुली सरकार है। लेकिन अगर शिवसेना या एनसीपी महाराष्ट्र के बाहर विस्तार के बारे में सोचती है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस उसका विरोधी ही होगी और ऐसे में कांग्रेस पर राजनीतिक निशाने साधे ही जाएंगे।

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