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Noida News:फिर भी रहेंगी निशानियां! नोएडा ट्विन टावर धराशायी होकर भी रहेगा 'धरातल' पर, जानिए क्या है कारण

Updated Sep 01, 2022 | 22:17 IST

Noida Twin Towers: नोएडा में ट्वीन टावर्स के मलबे को रिसाइकल कर टाइल्स बनाने का काम होने जा रहा है। नोएडा के सेक्टर 80 स्थित एक कंपनी को यह कार्य सौंपा गया है। शहर को इस योजना से प्रदूषण से मुक्ती मिलेगी।

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नोएडा ट्वीन टॉवर्स के मलबे की बनेगी टाइल्स, तैयारी शुरू
मुख्य बातें
  • मलबे के पहाड़ से होने वाले प्रदूषण से मुक्त करने के लिए किया जाएगा इसे रिसाइकल
  • 30 हजार टन मलबे को किया जाएगा रिसाइकल
  • 50 हजार टन मलबे से टावर्स के बेसमेंट को भरने का होगा काम

Noida Twin Towers Demolition: नोएडा के ट्वीन टावर के ध्वस्तीकरण के बाद उससे निकले मलबे को रिसाइकल करने की योजना है। बता दें कि नोएडा के सेक्टर 93 स्थित बने ट्विन टावर को विस्फोटक से ध्वस्त कर दिया गया है। ध्वस्त होने के बाद मलबे के पहाड़ को हटाना सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। जरा सी लापरवाही बड़े प्रदूषण की वजह बन सकती है। मलबे के पहाड़ को प्रदूषण मुक्त तरीके से कैसे रिसाइकल किया जाएगा, इसके लिए योजना तैयार है। बता दें कि ट्विन टावर इमारत का मलबा पहाड़ में तब्दील हो चुका है।

मलबे की रीसाइक्लिंग का काम नोएडा के सेक्टर 80 स्थित रेम्की कंपनी द्वारा किया जा रहा है। 30 हजार टन मलबा रिसाइकल किया जाएगा। टावर को गिराने से सरिया और कंक्रीट का करीब 80 टन मलबा मौके पर एकत्रित है। लगभग 50 हजार टन से ट्विन टावर के बेसमेंट को भरने का काम किया जाएगा। नोएडा के सेक्टर 93 से रीसाइक्लिंग प्लांट तक मलवा ले जाने का काम एडिफिस कंपनी करेगी। नोएडा के सेक्टर 80 स्थित रेमकी कंपनी में रीसाइक्लिंग मुकेश धीमन की देखरेख में होगा। मुकेश प्लांट में कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिश प्रोजेक्ट के हेड हैं।

इस प्रकार होगी रीसाइक्लिंग

उन्होंने बताया कि मलबे को प्रदूषण मुक्त तरीके से रिसाइकल करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। जरा सी लापरवाही बड़े प्रदूषण की वजह बन सकती है। बता दें कि मुकेश धीमन बताया है कि इस मलबे को प्रदूषण मुक्त तरीके से रीसाइकल करने में प्रतिदिन लगभग 30 हजार लीटर पानी का प्रयोग किया जाना है। नोएडा प्राधिकरण के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का शोधित जल इसमें प्रयोग होगा। नोएडा सेक्टर 93 से जो भी डंपर मलबा लेकर आएगा, उसे सबसे पहले पानी से गीला किया जाएगा। मलबे को अनलोड करते वक्त वाटर फॉगिंग का प्रयोग किया जाएगा ताकि उसकी धुल उड़ने से प्रदूषण न हो। मुकेश धीमन बताते हैं कि 90 दिनों तक लगातार प्रतिदिन ढाई सौ से 300 टन मलबा रिसाइकल होगा। करीब 30 फीसद रिसाइकल मलबे से प्रतिदिन 3000 इंटरलॉकिंग टाइल्स बनेंगे। इसका इस्तेमाल फुटपाथ बनाने में होगा।

रीसाइक्लिंग के बाद उत्पाद का इस तरह होगा उपयोग  

जानकारी के लिए बता दें कि 70 प्रतिशत मलबे से अन्य निर्माण सामग्री जैसे बजरी, गिट्टी, रोड़ी, प्लास्टर व ईंट चुनाई के लिए चूरा आदि बनेगा। पूरे मलबे को रिसाइकल करने के बाद लगभग तीन लाख इंटरलॉकिंग टाइल्स और काफी मात्रा में निर्माण सामग्री बनेगी। रीसाइक्लिंग में प्रतिदिन 40 से 50 लोग काम करेंगे। रीसाइक्लिंग उत्पाद ओपन मार्केट में बेचा जाएगा, जिससे कोई भी व्यक्ति कंपनी या संस्था खरीद सकती है।