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Bihar Vidhan Sabha Chunav: पुष्पम प्रिया के बाद बिहार में हो रही है मंदाकिनी चौधरी की चर्चा, जानिए वजह

श्वेता सिंह | सीनियर असिस्टेंट प्रोड्यूसर
Updated Oct 17, 2020 | 11:18 IST

Bihar Election 2020: बिहार विधान सभा चुनाव में इस बार युवा नेताओं की भरमार है। कहना गलत नहीं होगा कि सच में ये नए बिहार की तस्वीर की झलक है।

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बिहार: पुष्पम प्रिया के बाद अब चर्चा में है मंदाकिनी चौधरी
मुख्य बातें
  • किसी बड़ी पार्टी से जुड़ने की बजाय गांव वालों द्वारा बनायी पार्टी से ही चुनाव लड़ने को हैं तैयार  
  • एमबीए करने के बाद भी गांव की कायाकल्प करने का बीड़ा उठाया
  • मंदाकिनी हरलाखी विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी

पटना: चिराग पासवान, तेज प्रताप, तेजस्वी यादव, पुष्पम प्रिया और अब मंदाकिनी चौधरी का चुनावी मैदान में आना सच में बिहार की एक अलग ही तस्वीर पेश कर रहा है। साल 2020 का बिहार विधान सभा चुनाव क्या सही मायने में कुछ अलग होने वाला है, क्योंकि इस बार चुनाव प्रचार में युवा नेताओं की भरमार है। पुष्पम प्रिया के चुनावी अखाड़े में उतरने के बाद एक और चेहरे के बारे में जमकर चर्चा हो रही है। वो चेहरा है एमबीए डिग्री होल्डर मंदाकिनी चौधरी का। बिना चुनाव जीते पति के बल पर राबड़ी जैसी महिला को आपने मुख्यमंत्री बनते देखा अब इस नए बिहार में जोश और जूनून से भरी इन युवा महिलाओं का रुख भी देखिए।   

MBA होल्डर हैं मंदाकिनी 

दस साल पहले मंदाकिनी ने एमबीए किया था। अगर वो चाहतीं तो आज के युवाओं की तरह मेट्रो शहर या फिर विदेश का रुख करके पैसे कमा सकती थीं, लेकिन ऐसे नहीं हुआ। विदेश और शहर के रास्ते से रुख मोड़ मंदाकिनी गांव  की भलाई और विकास का वीणा उठाया। नौकरी करने की बजाय लोगों की सेवा करना शुरू किया।  

जब शहरी लब्बो-लुआब छोड़ गांव के विकास की ठानी  

आधुनिक युग में जब युवा पीढ़ी गांव के पथरीली और मिट्टी भरे रास्ते को छोड़ रबड़ की और सीमेंट की सडकों वाले शहर का रुख करते हैं, वहीं मंदाकिनी चौधरी ने गांव में रहकर ही वहां बदलाव करने की ठानी। 

IAS की पोती मंदाकिनी  

बहुत कम लोगों को पता है कि मंदाकिनी चौधरी किसी आम खानदान से नहीं बल्कि सभ्य और शिक्षित परिवार से हैं। मंदाकिनी की दादा जी आईएएस थे। बचपन से ही मंदाकिनी की परवरिश पढ़ाई-लिखाई वाले माहौल में हुई।  

पंचायत की मुखिया से जिले की विधायिका का चुनाव  

गांव की सेवा करने के बाद गांव के लोगों के कहने पर मंदाकिनी ने गांव की पंचायत का चुनाव लड़ा और आज गांव की मुखिया हैं। गांव का कायाकल्प करने के बाद मंदाकिनी अब विधायकी का चुनाव लड़ने जा रही हैं। मंदाकिनी हरलाखी विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी। मंदाकिनी का कहना है कि इस क्षेत्र के शिक्षित युवा बेरोजगार हैं, क्षेत्र का विकास रुका है। इन सबके लिए अब वो MLA का चुनाव लड़ने जा रही हैं।  

खुद ही अपने लिए जमीन तैयार की  

बिहार विधान सभा चुनाव हो या फिर किसी और राज्य का या लोक सभा चुनाव। आमतौर पर युवा चेहरों के लिए उनके पिता, दादा चुनावी अखाड़ा तैयार करके देते हैं और अखाड़े में बच्चे के सहयोग के लिए खुद विराजमान रहते हैं, लेकिन मंदाकिनी चौधरी के मामले में ऐसा नहीं है। वो अपनी चुनावी जमीन खुद तैयार की हैं। अपना आधार खुद बनाया और फिर चुनावी अखाड़े में लड़ने को तैयार हैं।  

राज्य ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी अब युवा कंधों की आवश्यकता है. बूढ़े कंधों पर कब तक राजनीति को बोझ ढोया जाएगा। पुष्पम प्रिया हों या मंदाकिनी, इस बार बिहार चुनाव में उनकी जनता के बीच कितनी पैठ है ये पता चल जाएगा।  

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