- नीति आयोग का कहना है कि बिहार एक पिछड़ा राज्य है।
- नीतीश कुमार ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।
- डिप्टी सीएम रेणु देवी का कहना है कि इसकी जरूरत नहीं है।
पटना : एक तरफ बिहार की डिप्टी सीएम रेणु देवी कह रही है की बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की जरूरत नहीं है, वहीं आज (13 दिसंबर) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 2004-05 में प्रति व्यक्ति आय 7,914 रुपए थी, जो 2019-20 में बढ़कर 50,735 रुपए हो गई। हमारे प्रयासों के बावजूद, बिहार की जनसंख्या और क्षेत्रफल को ध्यान में रखते हुए विकास दर पर्याप्त नहीं है। नीति आयोग का कहना है कि बिहार एक पिछड़ा राज्य है। इसलिए हम मांग करते हैं विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए।
बीजेपी की नेता डिप्टी सीएम रेणु देवी ने कहा कि नीति आयोग बिहार को पिछड़ा नहीं दिखा रहा है। विशेष राज्य के दर्जे से अधिक पैसा आया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बिहार को काफी पैसा दे रही है। इस पैसे से बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पर काम हो रहे हैं। ऐसे में विशेष राज्य का दर्जा की जरूरत नहीं है।
उधर नीतीश कुमार सरकार ने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए एक नई पिच बनाई है, यह मांग वह "पिछले 10-12 वर्षों" से कर रहे हैं। राज्य के योजना और कार्यान्वयन मंत्री, बिजेंद्र यादव ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को पत्र लिखकर कहा कि बिहार ने विशेष दर्जा देने के लिए निर्धारित "सभी मानदंडों को पूरा किया"। मंत्री ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर अपनी हालिया रिपोर्ट पर नीति आयोग के साथ इस मुद्दे में शामिल होने की मांग की, जिसमें बिहार को देश में सबसे नीचे रखा गया।