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गंगा में लाशें, मछली बिक्री पर पड़ा असर, मछुआरे वापस नदी में डालने पर मजबूर

Dead bodies in the Ganges, fish sales affected, fishermen forced to put back into river
Updated May 19, 2021 | 13:28 IST

उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में कई लाशें मिलने के बाद इलाकों में हड़कंप मच गया था। अब इसका असर मछ्ली की बिक्री पर भी पड़ा है।

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Dead bodies in the Ganges, fish sales affected, fishermen forced to put back into riverDead bodies in the Ganges, fish sales affected, fishermen forced to put back into river
तस्वीर साभार:&nbspANI
गंगा में लाशों की वजह मछली बिक्री पर असर

कोरोना काल में उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में कई लाशें मिलने के बाद इन इलाकों में रहन वाले लोगों में भय समा गया है। इसका असर गंगा पर आधारित बिजनेस पर भी पड़ा है। बिहार में जब से गंगा नदी में शव मिले हैं तब से पटना में नदी से लाई गई मछली की बिक्री कम हो गई है। एक मछुआरे ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि हमारा बहुत नुकसान हो रहा है। सरकार से मांग है कि मछली बेचने के लिए जो 2 घंटे का समय मिलता है उसे बढ़ाए। जब कोई मछली नहीं लेता है तो उसे वापस नदी में डाल देते हैं।

गौर हो कि उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा नदी में कई लाशें मिलने के बाद इलाकों में हड़कंप मच गया था। सियासी बयानबाजी तेज हो गई थी। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले लोगों के मुताबिक नरही इलाके के उजियार, कुल्हड़िया और भरौली घाट पर कम से कम 52 लाशें बहती हुई दिखाई दी थी। इसी तरह गंगा नदी में लाशों के बहने की खबर बिहार से भी मिली है। बलिया और गाजीपुर में गंगा नदी में कई शव बहते पाये गये थे। 

बलिया और गाजीपुर जिलों में गंगा नदी में कई शव बहते पाये जाने की घटना के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि गंगा नदी में पाये जाने वाले शव एक आंकड़ा भर नहीं है, ये शव किसी के पिता, माता, भाई, बहन के हैं। यह सरकार की जवाबदेही है जो लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में जो हो रहा वह अमानवीय एवं आपराधिक है। सरकार छवि बनाने में व्यस्त है जबकि लोग अकल्पनीय पीड़ा से गुजर रहे हैं। कांग्रेस महासचिव ने कहा था कि बलिया और गाजीपुर में गंगा में शव बहते मिल रहे हैं। उन्नाव में नदी के किनारों पर बड़े पैमाने पर शवों को दफन किए जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। प्रतीत होता है कि लखनऊ, गोरखपुर, झांसी और कानपुर जैसे शहरों से आधिकारिक संख्या काफी कम बताई जा रही हैं।

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