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Patna to Pakistan: पटना का साइकिल ब्वॉय, साइकिल चलाकर पहुंचा पाकिस्तान, यह दो हैं प्रेरणा स्रोत

Updated Aug 26, 2022 | 19:19 IST

Bicycle from Patna to Pakistan: पटना निवासी एक युवक ने साइकिल से पाकिस्तान तक का सफर पूरा किया है। 1700 किलोमीटर साइकिल चलाकर यह पड़ोसी देश गया हैं। इनका नाम है नवनीत। इनका कहना है कि, इस पूरी यात्रा में सबसे अधिक परेशानी बरसात के समय में होती थी। इन्होंने अपनी यात्रा को बर्न फैट सेव फ्यूल नाम दिया है।

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तस्वीर साभार:&nbspFacebook
पटना से साइकिल से युवक पहुंच गया पाकिस्तान
मुख्य बातें
  • इंजीनियरिंग के छात्र नवनीत का कमाल, अपनी यात्रा को बर्न फैट सेव फ्यूल नाम दिया
  • गुरु नानक देव और दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत को मानता हैं प्रेरणास्त्रोत
  • 14 जून को पटना से शुरू की थी पाकिस्तान के लिए साइकिल यात्रा

Patna to Pakistan: पटना के दानापुर इलाके में रहने वाले एवं इंजीनियरिंग के छात्र नवनीत ने कमाल कर दिया है। हाईस्पीड और लग्जरी गाड़ियों की चाह रखने वाले युवाओं के जमाने में इस युवा ने साइकिल से 1700 किलोमीटर यात्रा पूरी की है। इन्होंने कहा कि, गुरु नानक देव और दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत से प्रेरणा लेकर इन्होंने यह अपनी यह यात्रा पूरी की है। इनके घर वापसी के बाद से परिवार, रिश्तेदार एवं आसपास के लोग इनका स्वागत कर रहे हैं। नई पीढ़ी के लिए इन्हें प्रेरणास्त्रोत भी कहा जा रहा है। 

नवनीत के मुताबिक, गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली पटना से 14 जून को उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत की थी। एक महीने में 1700 किलोमीटर तय करके वापस अपने घर पहुंचे हैं। अपनी यात्रा को सुशांत सिंह राजपूत को समर्पित किया है। कहा कि, अपनी व्यस्तम जिंदगी में लोग सुशांत सिंह राजपूत जैसे कलाकार को भूल गए हैं। वह डाउन टू अर्थ इंसान थे। उनको साइकिलिंग बेहद पसंद थी। इसे ध्यान में रखकर ही उन्होंने अपनी यह यात्रा पूरी की। 

लद्दाख में खारदुंगला पहाड़ी पर फहराया था तिरंगा

नवनीत ने बताया कि, उन्होंने अपनी इस यात्रा को बर्न फैट सेव फ्यूल नाम दिया है। पहले भी वह 1900 किलोमीटर साइकिल से यात्रा करके लद्दाख में खारदुंगला पहाड़ी पर जाकर राष्ट्रीय ध्वज फहरा चुके हैं। इस सफर को मुश्किल बताते हुए कहा कि, बरसात के दिनों में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। यह भी बताया कि, मेरी दृढ़ इच्छा से घर वाले थोड़े संशकित भी थे, लेकिन अपने जुनून से मैंने यह यात्रा सफल बनाई। इस दौरान पिता अरविंद कुमार गुप्ता और मां ममता गुप्ता लगातार संपर्क में रहे। 

बेटे से जिस दिन बात नहीं होती थी लगता था डर

मां ममता गुप्ता ने बताया कि, नवनीत से जिस दिन बात नहीं हो पाती थी, उस दिन काफी डर लगता था। पिता अरविंद गुप्ता ने कहा कि, आज बेटे की सफलता पर पूरे परिवार को नाज है। इनके इस साहस के लिए दानापुर के साईं अंगना मंदिर समिति ने इन्हें सम्मानित भी किया है। नवनीत ने कहा कि, अभी आगे इस तरह की कई लंबी यात्रा तय करनी है। 

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