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Genetic Engineering Courses: जानें, क्या है जेनेटिक इंजीनियरिंग? कैसे करें कोर्स और क्या है करियर ऑप्‍शन

Updated Jul 28, 2022 | 06:42 IST

Genetic Engineering Courses: अगर आप का रूझान साइंस व इंजीनियरिंग दोनों तरफ है तो 12वीं के बाद जेनेटिक इंजीनियरिंग का कोर्स कर शानदार करियर बना सकते हैं। यह बेहद तेजी से बढ़ता हुआ वो क्षेत्र है, जिसने मेडिकल क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है।

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
जेनेटिक इंजीनियरिंग में कोर्स और करियर ऑप्‍शन
मुख्य बातें
  • प्रोग्रेसिव टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ कर बना बायोटेक्नोलॉजी
  • जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोलॉजी को करती है मिक्‍स
  • मेडिकल सेक्‍टर में यह तेजी से उभरता हुआ टॉप ब्रांच

Genetic Engineering Courses: मेडिकल साइंस का फील्‍ड टेक्‍नोलॉजी के मामले में काफी आगे पहुंच गया है। इस फील्‍ड में बायोलॉजी को प्रोग्रेसिव टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ कर बायोटेक्नोलॉजी के नए सेक्‍टर को बनाया गया है, जिसने मेडिकल साइंस में विकास का नया रास्‍ता खोल दिया है। बायोलॉजी में यह तेजी से उभरता हुआ एक ऐसा ब्रांच है जो जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोलॉजी के साइंस को मिक्स करती है। करियर बनाने के लिए आज इस ब्रांच को मेडिकल सेक्‍टर के सबसे अच्‍छे ब्रांचों में से एक माना जाता है। इस फील्‍ड में कई तरह के कोर्स कराए जाते हैं, जिन्‍हें पूरा कर छात्र शानदार करियर बना सकते हैं।

जेनेटिक इंजीनियरिंग कोर्स के लिए योग्यता

जेनेटिक इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के लिए 12वीं फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स व बायोलॉजी के साथ करना होगा। इसके बाद छात्र जेनेटिक इंजीनियरिंग में बीटेक कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स के लिए छात्रों को जेईई जैसी राष्ट्रीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा को क्रैक करना होगा। इसके अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा इन-हाउस प्रवेश परीक्षा भी आयोजित की जाती है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग कोर्स

बायोकेमेस्ट्री

बायोकेमेस्ट्री भी बायोलॉजी की एक उभरती हुए ब्रांच है। यह किसी भी बायोलॉजिकल प्रोसेस के केमिकल एसपेक्टस से संबंधित है। अब कंटेम्पररी रिसर्च के लिए बायोकेमेस्टी साइंस की एक जरूरी ब्रांच है। इस बदलाव ने हेल्थ सेक्टर के साथ-साथ माइक्रोबायोलॉजी सेक्टर को भी प्रभावित करते हुए बायोकेमेस्ट्री के क्षेत्र को विकसित किया है।

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इम्यूनोलॉजी

इम्यूनोलॉजी में जीव की प्रतिरक्षा प्रणाली का अध्ययन किया जाता है। रिसचर्च देखते हैं कि कैसे परजीवियों और अन्य रोग पैदा करने वाले जीवों से अपनी रक्षा करता है। कोरोना महामारी फैलने के बाद इम्यूनोलॉजी माइक्रोबायोलॉजी में व्‍यापक बदलाव आया है। इम्यूनोलॉजी जीवों से होने वाले नुकसान का पता करने में मदद करती है और इन बीमारियों का इलाज विकसित करने और भविष्य में उन्हें रोकने पर काम करती है।

बायोइनफॉरमैटिक्स

इस सब्‍जेक्‍ट में जैविक डेटा को समझने के लिए जीव विज्ञान, कंप्यूटर एप्लीकेशन और मैथ्स को जोड़ कर अध्‍ययन किया जाता है। इस फील्‍ड का उपयोग मुख्य तौर पर जैविक डेटा का आकलन करने और रिसर्च करने के लिए आवश्यक एलिमेंटस की पहचान करने के लिए किया जाता है।

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नैनो-टेक्नोलॉजी

नैनोटेक्नोलॉजी जेनेटिक इंजीनियरिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और आणविक या परमाणु पैमाने पर पदार्थ के हेरफेर से संबंधित है। इस फील्‍ड का उपयोग हेल्थ केयर में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को देखने के लिए किया जाता है। नैनो टेक्नोलॉजी और जेनेटिक इंजीनियरिंग की वो दो प्रमुख क्षेत्र हैं जिन्होंने हेल्थ सेक्टर में बदलाव किया है।