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Apara Ekadashi Vrat Katha: अपरा एकादशी की कथा से प्रसन्न होंगे श्रीहरि, देखें अचला एकादशी की पौराणिक कहानी

Updated May 26, 2022 | 05:58 IST

Apara Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi (Achala Ekadashi vrat kahani): अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस एकादशी को अचला एकादशी भी कहा जाता है। यहां देखें अपरा यानी अचला एकादशी की पौराणिक कहानी।

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अचला एकादशी 2022 व्रत की कथा

Apara Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन भक्ति पूर्वक पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। आपको बता दें कुछ जगहों पर अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी पुकारा जाता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार अपरा एकादशी के दिन खास योग बन रहे हैं, इसलिए यह दिन और भी खास हो गया है। यदि आप इस व्रत को करके भगवान विष्णु की असीम कृपा बनी प्राप्त करना चाहते है, तो यहां आप इस व्रत की कथा हिंदी में देखकर पढ़ सकते हैं।

अपरा एकादशी 2022 व्रत की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में  महीध्वज नाम का एक राजा रहता था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बहुत ही क्रूर और अधर्मी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। उसने एक दिन रात के समय अपने बड़े भाई को मारकर उसके शरीर को जंगल में पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया। अकाल मृत्यु होने से राजा प्रेत आत्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पाद करने लगा।

एक दिन धौम्य नामक ऋषि उधर से गुजर रहे थे। तब उन्होंने उस प्रेम को देखा और अपने तपोबल से उसके अतीत को जानने की कोशिश की। अपने तपोबल से ऋषि उनके प्रेत उत्पाद का कारण जान गए। यह जानने के बाद ऋषि प्रसन्न होकर उस प्रेतआत्मा को पीपल के पेड़ से उतारकर उसे परलोक में जाने का  ज्ञान जिया।  

तब ऋषि ने राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए खुद ही अपरा एकादशी का व्रत रखा और उसे अगति से छुड़ाने के लिए उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। व्रत के प्रभाव से राजा को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई और वह ऋषि को धन्यवाद देता हुआ खूबसूरत शरीर धारण कर पुष्पक विमान से बैठकर स्वर्ग लोक को चला गया। तभी से अपरा एकादशी का व्रत संसार में विख्यात हो गया।

डिस्क्लेमर: यह सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। टाइम्स नाउ नवभारत किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। 
 

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