- मेष और वृश्चिक राशि के जातकों नहीं बांधना चाहिए काला धागा
- काला धागा पहनने से बुरी नजर और ग्रहों का दोष होता है कम
- ज्योतिष दृष्टिकोण से लाभकारी माना जाता है काला धागा पहनना
Astrology Tips For Kala Dhaga: पौराणिक परंपराओं और मान्यताओं से जुड़े ऐसे कई नियम है जिनका लोग आज पालन नहीं करते हैं। लेकिन आज के समय में भी लोग काला धागा बांधते हैं। काला धागा बांधने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इससे बुरी शक्तियां दूर रहती है, यह नजर दोष से बचाता है और साथ ही इससे ग्रह दोष भी दूर रहते हैं। लोग आमतौर पर हाथ, पैर, कमर और गले आदि जगहों पर काला धागा बांधते हैं। ज्योतिष में भी काला धागा बांधने से जुड़े कई लाभ और उपायों के बारे में बताया गया है। लेकिन ज्योतिष के अनुसार कुछ लोगों को काला धागा नहीं बांधना चाहिए। ये लोग यदि काला धागा बांधते हैं तो इन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जानते हैं किन लोगों को नहीं बांधना चाहिए काला धागा।
ये दो राशियां भूलकर भी न पहनें काला धागा
कुछ चीजें भले ही धार्मिक और ज्योतिष दृष्टिकोण से लाभकारी मानी जाती है। लेकिन जाने-अनजाने में हुई भूल से यह भारी पड़ सकती है। इन्ही में एक है काला धागास जिसे बहुत ही शुभ माना गया है। लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जिनके लिए यह धागा अशुभ होता है। ज्योतिष के अनुसार वृश्चिक और मेष राशि के जातकों को भूलकर भी काला धागा नहीं पहनना चाहिए।
मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए क्यों अशुभ है काला धागा
मेष और वृश्चिक दोनों ही राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। काले रंग से मंगल देव रुष्ट होते हैं। साथ ही काले धागे का संबंध राहु और शनि से होता है। शनि और मंगल दोनों के बीच शत्रुता का भाव होता है। वहीं यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल का अशुभ प्रभाव खत्म होता है तो राहु का प्रभाव शुरू हो जाता है। इससे जीवन में कई तरह की परेशानियां शुरू होने लगती है। इसलिए ज्योतिष के अनुसार इन दोनों राशि के जातकों को काला धागा बांधने से परहेज करना चाहिए।
काला धागा बांधने के नियम और लाभ
काला रंग शनिदेव को प्रिय होता है। इसलिए इसे शनिवार के दिन बांधना शुभ माना गया है। इससे शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। यदि आप हाथ में काला धागा बांधते हैं तो भूलकर भी इसके साथ किसी अन्य रंग का धागा नहीं बांधे। यदि किसी व्यक्ति को हमेशा पेट दर्द की समस्या बनी रहती है तो उसे पैर के अंगूठे में काला धागा बांधना चाहिए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)