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Sankashti Chaturthi 2022: ऐसे रखें संकष्टी चतुर्थी का व्रत, गणेश पूजा से मिलेगा अक्षुण्य लाभ

Updated Jun 13, 2022 | 11:27 IST

Sankashti Chaturthi Vrat 2022: संकष्टी चतुर्थी 17 जून को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा पाठ करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन लाल कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
vastu dosh
मुख्य बातें
  • प्रत्येक माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है
  • हर महीने में दो बार चतुर्थी पड़ती है
  • इस बार संकष्टी चतुर्थी 17 जून को पड़ रही है

Sankashti Chaturthi 2022 Ke Fayde: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। प्रत्येक माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है, वहीं जेष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। हर महीने में दो बार चतुर्थी पड़ती है। इस बार संकष्टी चतुर्थी 17 जून को पड़ रही है। बहुत लोग हर महीने संकष्टी का व्रत करते हैं। खासकर महाराष्ट्र और तमिलनाडु में इसे विशेष कर मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन गणेश भगवान का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामना पूरी हो जाती है और व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस व्रत को करने के फायदे..

जानिए कैसे करें पूजा

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। स्नान करने के बाद गणपति की पूजा की शुरुआत करें। सबसे पहले आरती पढ़ें। गणपति की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। भगवान गणपति को तिल, गुड़ के लड्डू, तांबे के कलश में पानी, धूप, चंदन व केले का प्रसाद भगवान गणपति के सामने रखें। इसके अलावा मोदक का भोग जरूर लगाएं। भगवान गणपति की आरती करने के बाद इस मंत्र का जाप करें--- गजाननं  भूत  गणादि  सेवितं , कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम् । उमासुतं शोक विनाशकारकम् , नमामि  विघ्नेश्वर   पाद  पंकजम् ।। पूजा संपन्न होने के बाद सबके प्रसाद ग्रहण करने के लिए जरूर दें।

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संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने के ये हैं फायदे

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा विधि विधान से करने से सारे संकट दूर होते हैं। संकष्टी चतुर्थी का मतलब ही संकट को दूर कर देने वाले चतुर्थी होती है। इस दिन व्रत रखना भी काफी फायदेमंद होता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से संकटों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही आर्थिक लाभ की प्राप्ति भी होती है।

कहते हैं कोई भी शुभ काम करने के लिए सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की सच्चे मन से अराधना करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होता है और घर के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम होता है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 
 

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