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Uma Maheshwar Vrat 2022: कब है उमा महेश्वर व्रत, जानें पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में

Updated Sep 03, 2022 | 07:24 IST

Uma Maheshwar 2022: भाद्रपद माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को उमा महेश्वर व्रत के नाम के नाम से जाना जाता है। इस व्रत को करने से स्त्रियों को संतान और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस साल उमा माहेश्वर व्रत शनिवार 10 सितंबर 2022 को रखा जाएगा।

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उमा महेश्वर व्रत कब है जानें इसका महत्व और पूजा विधि
मुख्य बातें
  • भाद्रपद पूर्णिमा के दिन रखा जाता है उमा महेश्वर का व्रत
  • भगवान विष्णु ने भी रखा था उमा महेश्वर का व्रत
  • 10 सिंतबर को रखा जाएगा उमा महेश्वर का व्रत

Uma Maheshwar Vrat 2022 Importance: हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह के पूर्णिमा तिथि के दिन उमा महेश्वर का व्रत रखा जाता है। इस दिन उमा (माता पार्वती) महेश्वर (भगवान शिव) की पूजा अराधना की जाती है। यह व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। उमा महेश्वर का व्रत व पूजन करने से व्यक्ति को उसके पूर्व जन्म के पाप, शाप और दोषों से मुक्ति मिलती है, जिससे वह सुखी-जीवन व्यतीत करता है। इस साल उमा महेवश्वर का व्रत 10 सितंबर 2022 को रखा जाएगा। जानते हैं इसके शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में।

उमा महेवश्वर व्रत तिथि व शुभ मुहूर्त

उमा महेवश्वर तिथि: शनिवार 10 सितंबर 2022

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: शुक्रवार 9 सितंबर 2022 शाम 5:30  बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त: शनिवार 10 सितंबर 2022 शाम 3:40 बजे

उमा महेवश्वर पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठें और नहाने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर शिवजी को जल अर्पित करें। पूजा में शिवजी को फल,फूल और माला आदि चढ़ाएं और चंदन का लेप लगाएं। शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा करें। माता को सुहाग का सामान भी अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप चढ़ाएं और आरती करें। फिर पूजा के बाद ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।

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उमा महेवश्वर व्रत कथा

मत्स्य पुराण के अनुसार एक बार महर्षि दुर्वासा शिवजी के दर्शन करके लौट रहे थे। तभी उनकी मुलाकात विष्णुजी से हो गई। महर्षिजी ने शिवजी द्वारा दी गई बेलपत्र की माला विष्णु जी को दे दी। विष्णु जी ने उस माला को स्वयं ना पहनकर गरुड़ के गले में डाल दिया। इससे दुर्वासा ऋषि क्रोधित हो गए और बोले कि तुमने भगवान शिवजी का अपमान किया है। इससे तुम्हारे पास से लक्ष्मी चली जाएगी और साथ ही तुम्हें क्षीरसागर से भी हाथ धोना पड़ेगा। शेषनाग भी तुम्हारी सहायता ना कर सकेंगे।

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ये सुनकर विष्णुजी ने दुर्वासा से शाप से मुक्त होने का उपाय पूछा। दुर्वासा ऋषि ने बताया कि तुम उमा महेश्वर का व्रत करो इससे तुम्हें सभी चीजें फिर से प्राप्त होंगी। तब विष्णुजी ने उमा महेश्वर का व्रत किया। फलस्वरुप इस व्रत के प्रभाव से लक्ष्मी आदि समस्त शाप में वापस ली गई वस्तुएं भगवान विष्णु को पुनः प्राप्त हो गई।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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