लाइव टीवी

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में मातृ नवमी का होता है विशेष महत्व, जानें इस दिन किसका श्राद्ध किया जाता है

Updated Sep 03, 2022 | 07:28 IST

Pitru Paksha 2022 Matri Navami: पितृपक्ष में मातृ नवमी के दिन परिवार की उन दिवंगत माताओं, बहू व बेटियों का श्राद्धकर्म किया जाता जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई। घर के महिला और पुरुष दोनों ही इस दिन दिवंगत माताओं के लिए पूजा व श्राद्ध करते है।

Loading ...
पितृपक्ष में मातृ नवमी का महत्व
मुख्य बातें
  • 10 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृपक्ष
  • पितृपक्ष के मातृ नवमी में किया जाता है दिवंगत माताओं का श्राद्ध
  • मातृ नवमी में उन माताओं का श्राद्ध होता है जिनकी मृ्त्यु सुहागिन के रूप में हुई

Pitru Paksha 2022 Matri Navami Importance: हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष में मृत पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, दान और पिंडदान किए जाते हैं। पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष की शुरुआत इस साल 10 सितंबर से हो रही है जोकि 25 सितंबर तक रहेगी। वैसे तो पितृपक्ष में पूरे 16 दिनों तक तिथि के अनुसार पितरों का पिंडदान किया जाता है। लेकिन विशेष रूप से नवमी तिथि के दिन दिवंगत माताओं का श्राद्ध कर्म किया जाता है। इसे मातृ नवमी श्राद्ध कहते हैं। मातृ नवमी के दिन परिवार की ऐसी दिवंगत माताओं, बहुओं व बेटियों का पिंडदान किया जाता है जिनकी मृत्यु सुहागिन स्त्री के रूप में हुई। पितृपक्ष में इनका श्राद्ध करने से इनकी आत्मा को शांति मिलती है।

पितृपक्ष में कब है मातृ नवमी

हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा एवं अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक के समय को पितृपक्ष कहा जाता है। वहीं मातृ नवमी अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को होती है। इस साल अश्विन माह की नवमी तिथि सोमवार 19 सितंबर 2022 को पड़ रही है। नवमी तिथि रविवार 18 सितंबर संध्या 4:30 बजे प्रारंभ हो जाएगी और दूसरे दिन यानी सोमवार 19 सितंबर को संध्या 6:30 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार 19 सितंबर को दिवंगत माताओं का श्राद्ध किया जाएगा।

Also Read: Vastu Tips: सोने से पहले मुख्य द्वार पर दीपक जलाएं व इसके साथ करें ये काम, होगी अपार धन की प्राप्ति

क्या है मातृ नवमी का महत्व

पितृपक्ष में पड़ने वाली मातृ नवमी के दिन दिवंगत माताओं की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन इनका श्राद्ध करने से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है। वहीं यदि घर की महिला इस दिन पूजा-पाठ और व्रत करती है तो उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मातृ नवमी के दिन दिवंगत माताओं का श्राद्ध करने से घर पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।

Also Read: Pitru Paksha 2022 Crow Importance: श्राद्ध पक्ष के दौरान क्यों दिया जाता है कौए को इतना महत्व, जानिए वजह

मातृ नवमी पूजा विधि

मातृ नवमी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद सफेद कपड़े पहने चाहिए। इसके बाद घर के दक्षिण दिशा में एक चौकी रखकर उस पर सफेद आसन बिछाएं। चौकी में मृत परिजन की फोटो रखकर इस पर फूल माला चढ़ाएं और काले तिल का दीपक जलाना चाहिए। फोटो पर गंगाजल और तुलसी दल जरूर अर्पित करें। इस दिन गरुड़ पुराण या श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। पूजा के बाद मृत परिजन के लिए भोजन निकालें। गाय, कौआ, चींटी, चिड़िया और ब्राह्मण को भी के लिए भी भोजन निकालें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (Spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल